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Intelligence Bureau: भावी चुनौतियों से निपटने के लिये खुफिया ब्यूरो को रहना होगा तैयार

आधुनिक चुनौतियों और कठिन हालात के बावजूद खुफिया ब्यूरो ने देश को सुरक्षित रखने का काम किया है. कोई भी देश सशक्त खुफिया तंत्र के बिना आगे नहीं बढ़ सकता है.

Intelligence Bureau: पांच साल पहले देश उत्तर-पूर्व में उग्रवाद, नक्सल समस्या और कश्मीर की समस्या का सामना कर रहा था. इस समस्या के कारण शांति, कानून-व्यवस्था, सुरक्षा और भविष्य को खतरा था. लेकिन सरकार की सख्त नीति और कड़े फैसलों के कारण अब देश के लोगों को इन समस्याओं की चिंता करने की जरूरत नहीं है. सरकार ने इन चुनौतियों पर निर्णायक जीत हासिल की है और इन तीनों मामलों में हिंसक घटनाओं में 70 फीसदी और मौतों की संख्या में 86 फीसदी की कमी आयी है. देश की सुरक्षा एजेंसियों ने पिछले पांच साल में देश के समक्ष विभिन्न खतरों पर अपनी पकड़ को मजबूत किया है.

खुफिया ब्यूरो की सतर्कता के कारण देश सुरक्षित

खुफिया ब्यूरो के 37वें कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि खुफिया ब्यूरो की सतर्कता, सक्रियता और बलिदान देने की परंपरा के कारण आज देश सुरक्षित है. पिछले 10 साल में खुफिया ब्यूरो की सतर्कता काफी बढ़ी है. आधुनिक चुनौतियों और कठिन हालात के बावजूद खुफिया ब्यूरो ने देश को सुरक्षित रखने का काम किया है. कोई भी देश बिना सशक्त खुफिया तंत्र के आगे नहीं बढ़ सकता है. कार्यक्रम में केंद्रीय गृह सचिव, खुफिया ब्यूरो के निदेशक, पूर्व खुफिया ब्यूरो के निदेशक, केंद्रीय अर्धसैनिक बल के प्रमुख के अलावा गृह मंत्रालय और खुफिया ब्यूरो के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे. 

सुरक्षित समाज से ही आर्थिक और सामाजिक विकास संभव


गृह मंत्री ने कहा कि मौजूदा दौर में खुफिया तंत्र के प्रभाव के चार पहलू, समाज, अखंडता, सुरक्षा और सतर्कता है. इन पहलुओं के बीच बिना बाधा के कम्युनिकेशन सुरक्षा के लिए जरूरी है. एक सुरक्षित समाज ही आर्थिक और सामाजिक विकास का आधार तैयार कर सकता है. समय पर खतरे की पहचान कर उसे खत्म करने से लोगों में विश्वास और स्थिरता आती है. आज देश नक्सलवाद, आतंकवाद, संगठित अपराध, सांप्रदायिक ताकतों, नॉरकोटिक्स और असामाजिक तत्वों से निपटने में पूरी तरह सक्षम है. 

सुरक्षा के नये आयाम पर गौर करने की जरूरत


अमित शाह ने कहा कि मौजूदा दौर में अखंडता सिर्फ सीमा की सुरक्षा तक सीमित नहीं है. ऐसे में इनोवेशन, टेक्नोलॉजी, रिसर्च पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. सुरक्षा का मतलब सिर्फ लोगों और सीमा की सुरक्षा करना भर नहीं है. सुरक्षा के नये आयाम पर गौर करने की जरूरत है. एक कंप्यूटर क्लिक से किसी देश  के महत्वपूर्ण और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को बर्बाद किया जा सकता है. ऐसे में खुफिया ब्यूरो को सुरक्षा के मौजूदा सोच को बदलने की जरूरत है और भावी चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार होना होगा. 


खुफिया ब्यूरो को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और साइबर क्राइम के क्षेत्र में काम करना होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में देश 2027 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा. देश के आर्थिक और सामरिक खतरों से निपटने के लिए खुफिया ब्यूरो को तैयार रहना होगा.  

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