अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस (international day against drug addiction)
निखिल सिन्हा/Jamshedpur
नशा छोड़ें : मुश्किल है नामुमकिन नहीं वर्तमान समय में बड़ी संख्या में बड़े और बच्चे नशा के आदि होते जा रहे हैं. आसान शब्दों में कहें तो बच्चों में नशा की लत बढ़ती जा रही है. अज्ञानता वश लोग नशे की दलदल में फंसते जा रहे हैं. नशा कैसा भी हो, बुरा ही होता है. बर्बादी का दूसरा नाम है नशा, इसलिए जरूरी है कि इंसान नशे से दूर रहे और अगर लत लग ही जाए तो पूरी कोशिश कर इसके चंगुल से आजाद हो जाए. ऐसा करना मुश्किल जरूर है, पर नामुमकिन नहीं.
क्यों मनाते हैं अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस (international day against drug addiction)
अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस हर वर्ष 26 जून को देशभर में एक साथ मनाया जाता है. इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को नशा और इससे होने वाले कुप्रभाव के प्रति जागरूक करना है. नशा करने से होने वाले नुकसान और समाज से नशे की जड़ को पूरी तरह से उखाड़ने के लिए कार्य कर रहे संगठनों और सरकार के प्रयासों के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए यह दिन मनाया जाता है. सात सितंबर, 1987 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा एक प्रस्ताव पारित किया गया था. इस प्रस्ताव में नशीली दवाओं के गैरकानूनी इस्तेमाल और अवैध तस्करी को रोकने के लिए हर वर्ष अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस मनाने की बात थी. उसके बाद यह दिवस पहली बार वर्ष 1989 में मनाया गया था. अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस 2024 की थीम है साक्ष्य स्पष्ट है,रोकथाम में निवेश करें. इस थीम के साथ यह दिन इस वर्ष मनाया जायेगा.
नशे की लत छूटी, तो बदल गयी Life
जमशेदपुर में कई ऐसी NGO हैं जो नशा के खिलाफ Campaign चला रही हैं. इनके प्रयास से कई लोगों ने नशे से तौबा कर लिया. जिससे न वे सिर्फ मुख्य धारा से जुड़ें, बल्कि उनकी जिंदगी बदल गयी. अब वे परिवार, समाज से सामंजस्य बनाकर न सिर्फ बेहतर जीवन जी रहे हैं, बल्कि नशे के आदि लोगों के लिए एक प्रेरणा का काम कर रहे हैं.
केस स्टडी – अवैध शराब का धंधा छोड़ा, तो बच गया परिवारजुगसलाई की रहने वाली संतोषी एक शराब कारोबारी थी. वह अवैध रूप से शराब बेचा करती थी. धीरे-धीरे उसका व्यवसाय बढ़ने लगा. इसके बाद उसके घर के पास शराबियों का जमावड़ा लगने लगा. कारोबार को और बेहतर बनाने के लिए संतोषी ने अपनी छोटी बहनों को भी इस कारोबार में जोड़ा. इस दौरान उसका भाई भी शराब बेचने लगा. शराब बेचते-बेचते संतोषी का भाई भी शराब पीने का आदी हो गया. इसके बाद संतोषी का पूरा परिवार बिखर गया. इसके बाद संतोषी को नशा उन्मूलन अभियान चलाने वाले संगठनों शराब के कारोबार से होने वाले नुकसान की जानकारी दी. इसके बाद संतोषी ने इस कारोबार को बंद कर अन्य कारोबार को अपना लिया. आज संतोषी व उसका परिवार सम्मानजनक जिंदगी जी रहे हैं.
केस स्टडी – दृढ़ संकल्प से छूटी नशे की लत
स्टेशन रोड के रहने वाले अनिल नशा के आदी हो गये थे. वे नशे में इतना डूब गये थे कि उन्हें न तो अपने काम की चिंता होती थी. और न ही परिवार की. नशे में धुत होकर वे जहां-तहां पड़े रहते थे. उनकी पत्नी उन्हें नशा मुक्ति केंद्र भी लेकर गयी. लेकिन वे वहां कुछ दिन रहने के बाद भाग आये और फिर नशा के गिरफ्त में चले गये. इसके बाद कुछ लोगों ने उन्हें नशे होनेवाली परेशानियों से अवगत कराया. परिवार और बच्चों के भविष्य के बारे में बताया. धीरे-धीरे अनिल ने नशा के दुष्परिणाम को समझा और दृढ़ संकल्प लेकर खुद को नशे के चंगुल से मुक्त किया. आज अनिल एक दुकान में काम करते हैं. अपने परिवार और बच्चों के साथ घूमने जाते हैं. साथ ही समाज में भी नशा करने वाले लोगों को नशा से दूर रहने की सलाह देते हैं.
हमारी आवाज संस्था : अवैध शराब बेचने वाली महिलाओं के खिलाफ चलाया अभियान
जुगसलाई की रहने वाली चंदन जायसवाल ने नशा के खिलाफ मुहिम शुरू की है. हमारी आवाज संस्था के माध्यम से चंदन जुगसलाई समेत कई क्षेत्रों में नशे के खिलाफ अभियान चलाती हैं. चंदन ने बताया कि वे अपने आस-पास महिलाओं को खुलेआम शराब और अन्य नशीले पदार्थ को बेचते देखा, तो उन्होंने नशा मुक्ति के खिलाफ अभियान शुरू की. इसके बाद वर्ष 2016 में हमारी आवाज संस्था का गठन किया. प्रारंभ में वह क्षेत्र में अवैध रूप से बिकने वाले शराब के खिलाफ अभियान चलाया. उसके बाद उनके साथ कई महिलाएं जुड़ती चली गयी. आज चंदन व्यापक पैमाने पर नशा के खिलाफ अभियान चला रही हैं.
आदर्श सेवा संस्थान, सोनारी : 150 बच्चों को नशे से किया दूर :
आदर्श सेवा संस्थान भी नशा के खिलाफ अभियान चलाता है. कोरोना काल के बाद बच्चों को नशे से दूर करने के लिए संस्था लगातार काउंसलिंग कर रही है. वर्ष 2022 से अब तक संस्था करीब 300 बच्चों की काउंसलिंग कर चुकी है. इनमें से करीब 150 से अधिक बच्चों को नशे से दूर कर स्कूलों में दाखिला करवाया है. संस्था की लखी दास ने बताया कि बच्चों को नशा से दूर करने के लिए उनकी अलग टीम है. जो हर रोज घूम-घूम कर नशे के आदी बच्चों को नशा छोड़ने के लिए जागरूक करती हैं.
सामाजिक तौर पर अभियान चलाने की जरूरत : डॉ निधि श्रीवास्तव
Psychologist Dr Nidhi Srivastava ने बताया कि घर और समाज का वातारण खराब होने के कारण ही युवा व बच्चे भटक रहे हैं. दोस्तों के साथ मिल कर वे नशा कर रहे हैं. युवा वर्ग आज नशे में घुल गया है. युवती और महिलाएं भी अब इसका सेवन कर रही है. ऐसे में नशे पर रोक थाम के लिए सामाजिक स्तर पर अभियान चलाने की जरूरत है. क्योकि जब तक हर घर से लोग बाहर निकल कर नशे का विरोध नहीं करेंगे, तब तक नशे पर लगाम नहीं लग सकता है. इसके लिए अभिभावकों को बच्चों को समय देना होगा. उनके रुटीन को देखना होगा. बच्चों के मन में परिवार के प्रति इमोशन पैदा करना होगा. अगर ऐसा होगा, तो वह गलत रास्ते पर जाने से कतरायेगा. उन्होंने बताया कि नशा करने के बाद मस्तिष्क ठीक से काम करना बंद कर देता है. उसके सोचने समझने की शक्ति काफी कम हो जाती है. ऐसे में वह निर्णय नहीं ले पाता है कि वह जो काम कर रहा है, वह सही है या गलत. इस कारण से नशा करने के बाद युवा वर्ग घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं.
ये है जरूरी :
Self-confidence: नशा छोड़ने में सबसे बड़ी भूमिका नशा करने वाले व्यक्ति का होता है. उसे मजबूत मन बना कर नशा छोड़ना होगा. अगर वह मन में ठान ले तो दोबारा नशे को हाथ नहीं लगाएंगे, तो काम बन जायेगा. इसके लिए व्यक्ति को पहले आत्मविश्वास बढ़ाना होगा.
Family Support : नशा छोड़ने में घर वालों का सपोर्ट अहम भूमिका निभाता है. अगर कोई लगातार लत से जूझ रहे व्यक्ति को ताना देते रहेंगे तो नशे से दूर करना मुश्किल हो जायेगा. ऐसे में परिवार के लोग नशा छुड़ाने में सहयोग करें.
नशा करने वाले दोस्तों से दूरी बनाएं : नशा छोड़ने के लिए नशा करने वालों से दूरी बनाना सबसे जरुरी है. नशा छोड़ने के लिए पहले उसकी मात्रा कम करना होगा. नशीले पदार्थ से दूरी बनाये. डायरी में हर दिन आपने क्या सही और क्या गलत काम किया. उसके बारे लिखे और बार-बार पढ़े.
Life style बदले : मनोवैज्ञानिक ने बताया कि नशा छोड़ने के लिए आपको मानसिक ही नहीं शारीरिक तौर पर भी तैयार होना होगा. इसके लिए आपको लाइफ स्टाइल बदलना होगा.
योग और व्यायाम को जीवन में शामिल करे : नशा छोड़ने के लिए फिजिकल हेल्थ का ख्याल रखें. इसके लिए संतुलित डाइट लें, रात में अच्छी नींद लें. योगा और एक्सरसाइज को हर रोज की रुटीन में शामिल करें.
व्यस्त रखे : नशा करने वाले व्यक्ति को परिवार के लोगों को व्यस्त रखना होगा. काउंसलिंग के दौरान पीड़ित को प्रेरित करना होगा कि जो रास्ते पर वह है वह गलत है. उन्हें यह बताना होगा कि वह ठीक हो सकता है. उन्हें नशे के बुरे प्रभाव से अवगत कराना होगा. उसे परिवार के लोग नशे से दूर रखने के लिए व्यस्त रख सकते है.
Possitive बात करे : मरीज के साथ हर वक्त सकारात्मक बात करे. मरीज के छोटे-छोटे प्रयासों की सराहना करें और नेगेटिव कॉमेंट्स पास करने से बचें.
पुलिस ने चलाया अभियान : मार्च 2024 से मई 2024 तक
उत्पाद अधिनियम
दर्ज केस – 56
जब्त देशी शराब – 1576 लीटर
जब्त विदेशी शराब – 1019.83 लीटर
कुल गिरफ्तारी – 37
एनडीपीएस एक्ट
दर्ज केस – 19
जब्त गांजा – 99.713 किलोग्राम
जब्त ब्राउन शुगर – 51.68 ग्राम
कुल गिरफ्तारी – 43