International Space Station : भारत के सिर्फ इन तीन शहरों से आसमां में 6 मिनट के लिए दिखेगा स्पेस सेंटर

नयी दिल्ली : अंतरिक्ष में अनंत रहस्य हैं. अंतरिक्ष के रहस्यों को हर कोई जानना चाहता है. अंतरिक्ष में स्पेस स्टेशन को देखने की हर किसी को इच्छा होती है. आज यानि 14 जुलाई 2020 की रात भारत के कुछ शहरों से अंतरिक्ष में मौजूद स्पेस स्टेशन (International Space Station) को देखा जा सकेगा. सूर्य और चंद्रमा के बाद आकाश में सबसे ज्यादा चमकने वाली वस्तु स्पेस स्टेशन ही है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 14, 2020 4:48 PM

नयी दिल्ली : अंतरिक्ष में अनंत रहस्य हैं. अंतरिक्ष के रहस्यों को हर कोई जानना चाहता है. अंतरिक्ष में स्पेस स्टेशन को देखने की हर किसी को इच्छा होती है. आज यानि 14 जुलाई 2020 की रात भारत के कुछ शहरों से अंतरिक्ष में मौजूद स्पेस स्टेशन (International Space Station) को देखा जा सकेगा. सूर्य और चंद्रमा के बाद आकाश में सबसे ज्यादा चमकने वाली वस्तु स्पेस स्टेशन ही है.

रात में स्पेस स्टेशन की चमक को आसानी से देखा जा सकता है. भारत में मंगलवार की रात तीन अलग-अलग राज्यों के कुछ शहरों से स्पेस स्टेशन को देखा जा सकेगा. ये स्पेस स्टेशन तभी दिखाई देते हैं. जब यह किसी भी शहर से 90 डिग्री के एंगल पर होते हैं. आज यह नजारा कुछ मिनटों के लिए दिखाई देगा.

स्पेस स्टेशन मानवों द्वारा निर्मित एक उपग्रह है. वैज्ञानिकों के अनुसार ये नजारा आज रात गुजरात के राजकोट और अहमदाबाद, राजस्थान के जयपुर और दिल्ली में दिखाई देगा. इन शहरों में जब यह 90 डिग्री के एंगल पर होगा तब इसे आसानी से देखा जा सकेगा. कुछ मिनटों तक इसे हवा में उड़ते हुए देखा जा सकेगा.

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मंगलवार की रात करीब 8 बजकर 35 मिनट पर राजकोट और अहमदाबाद में यह स्पेस स्टेशन दिखाई देगा. वहीं, जयपुर और दिल्ली में यह 8 बजकर 37 मिनट पर दिखाई देगा. यह नजारा करीब छह मिनट तक आसमान में देखा जा सकेगा. यह आसमान में तारे से भी ज्यादा चमकीला और हवाई जहाज से भी तेज उड़ता हुआ दिखाई देगा.

क्या है स्पेस स्टेशन

स्पेस स्टेशन को ऑर्बिटल स्टेशन भी कहते हैं. इसको इंसानों के अंतरिक्ष में रहने के लिए सभी सुविधाओं के साथ बनाया गया है. यह अंतरिक्ष में मानव निर्मित ऐसा स्टेशन है, जिससे पृथ्वी से कोई अंतरिक्ष यान जाकर मिल सकता है. इसके अलावा इसमें इतनी क्षमता होती है कि इसपर अंतरिक्ष यान उतारा जा सके. इसे पृथ्वी की लो-ऑर्बिट कक्षा में ही स्थापित किया जाता है. यहीं से वैज्ञानिक पृथ्वी और अंतरिक्ष का अध्ययन करते हैं.

Posted By: Amlesh Nandan Sinha.

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