International Yoga Day 2022: अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर कई तरह की जानकारियां सामने आई है. देश और दुनिया में आज इस अवसर पर कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए गए है. इन सबके बीच, आज भी कई लोग योग और योगा को एक ही समझते है. हालांकि, इन दोनों में फर्क है. जिसपर प्रकाश डालते हुए पटना में कदम कुंआ स्थित राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज एवं अस्पताल में योग शिक्षक योगाचार्य डॉक्टर रूपेश दिग्विजय ने अहम जानकारियां दी है.
संप्रति में संस्थापक योग शिक्षक योगाचार्य डॉक्टर रूपेश दिग्विजय ने योग और #Yoga के बीच के अंतर पर प्रकाश डालते हुए कहा कि योग जब विदेश चला गया तो वहां से योगा बनकर वापस लौटा है. उन्होंने कहा कि यह कुछ इसी तरह का है, जब भारत के लोग विदेश चले जाते है तो वहां से साहेब बन कर लौटते है. इसी तरह से योग जब विदेश चला गया तो योगा बन गया.
योगाचार्य डॉक्टर रूपेश दिग्विजय ने कहा कि हमारे उपनिषद् में योग है, Yoga कोई शब्द नहीं है. लेकिन, आज हमने योग को योगा बना दिया है. Yoga बनते ही योग में आध्यात्मिकता का जो भाव था, वह धीरे-धीरे खत्म होने लगा. अब वो स्पोर्ट्स में चला गया है. लेकिन, जैसे ही आप योग बोलते है, उसमें आध्यात्म का भाव शुरू हो जाता है.
योगाचार्य डॉक्टर रूपेश दिग्विजय ने कहा कि योग में तन के साथ मन और आत्मा दोनों की उपस्थिति रहती है. तभी कहा जाता है कि आत्मा से परमात्मा का मिलन योग कहलाता है. Yoga में कमोबेश मन और आत्मा दोनों गौण हो जाता है. उन्होंने कहा कि संतुलन बनाए रखने वाले सभी व्यक्ति को योगी नहीं जा सकता है. योग में शारीरिक, वैचारिक और सामाजिक अनुशासन होता है. योग का प्रथम कर्तव्य होता है, मन को भटकने नहीं देना और उन्हें अनुशासन में रखना. जबकि, Yoga को हम एक मॉडर्न शब्द कह सकते है.
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