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IPCC Climate Report 2021 : बढ़ेगी चमोली जैसी तबाही, समुद्र में समाएंगे कई क्षेत्र, जीना होगा मुश्किल

IPCC Climate Report 2021 : रिपोर्ट के लेखकों ने कहा कि हम गर्म हवा के थपेड़े, भारी वर्षा की घटनाओं और हिमनदों को पिघलता हुआ देखेंगे, जो भारत जैसे देश को काफी प्रभावित करेगा.

IPCC Climate Report 2021 : दुनिया में ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम नहीं किया गया, तो वर्ष 2100 तक धरती का तापमान दो डिग्री तक बढ़ सकता है. इससे भारत में चमोली जैसी प्राकृतिक आपदाएं बढ़‍ सकती हैं. जलवायु परिवर्तन और अमेरिका समेत दुनियाभर में आगजनी की बढ़ती घटनाओं की मार से जूझ रही धरती को लेकर इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आइपीसीसी) की नयी रिपोर्ट में यह बात कही गयी है. नयी रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंद महासागर, दूसरे महासागर की तुलना में तेजी से गर्म हो रहा है. समुद्र के गर्म होने से जल स्तर बढ़ेगा जिससे तटीय क्षेत्रों और निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा भी बढ़ेगा.

रिपोर्ट के लेखकों ने कहा कि हम गर्म हवा के थपेड़े, भारी वर्षा की घटनाओं और हिमनदों को पिघलता हुआ देखेंगे, जो भारत जैसे देश को काफी प्रभावित करेगा. भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान में वैज्ञानिक और रिपोर्ट की लेखिका स्वप्ना पनिक्कल ने कहा कि समुद्र के स्तर में 50% की वृद्धि तापमान में बढ़ोतरी के कारण होगी. तटीय क्षेत्रों में 21वीं सदी के दौरान समुद्र के स्तर में वृद्धि देखी जायेगी. रिपोर्ट में कहा गया है कि गर्मी बढ़ने के साथ, भारी वर्षा की घटनाओं से बाढ़ की आशंका और सूखे की स्थिति का भी सामना करना होगा.

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बढ़ता तापमान खतरे की घंटी : आइपीसीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, पृथ्वी की जलवायु इतनी गर्म होती जा रही है कि एक दशक में तापमान संभवत: उस सीमा के पार पहुंच जायेगा जिसे दुनिया भर के नेता रोकने का आह्वान करते रहे हैं. यूएन ने इसे ‘मानवता के लिए कोड रेड’ करार दिया है. रिपोर्ट के मुताबिक, अगले 20 साल में धरती का तापमान निश्चित तौर पर 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ जायेगा. ऐसा जलवायु परिवर्तन की वजह से होगा. रिपोर्ट में 195 देशों से जुटाये गये मौसम और प्रचंड गर्मी से संबंधित आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है. रिपोर्ट में शोधकर्ताओं ने कहा कि पिछले 40 सालों से गर्मी जितनी तेजी से बढ़ी है, उतनी गर्मी 1850 के बाद के चार दशकों में नहीं बढ़ी थी. वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि अगर हमने प्रदूषण पर विराम नहीं लगाया, तो और अनियंत्रित मौसमों का सामना करना पड़ेगा.

इस बात की गारंटी है कि चीजें और बिगड़ने जा रही हैं. मैं ऐसा कोई क्षेत्र नहीं देख पा रही, जो सुरक्षित है…. कहीं भागने की जगह नहीं है, कहीं छिपने की गुंजाइश नहीं है.

लिंडा मर्न्स, वरिष्ठ जलवायु वैज्ञानिक, अमेरिका

खतरा ही खतरा

-50 साल में आनेवाली प्रचंड लू अब आ रही हर 10 साल में एक बार, एक और डिग्री तापमान बढ़ा, तो ऐसा प्रत्येक सात साल में एक बार होने लग जायेगा.

-आर्कटिक, ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका के ग्लेशियर और बर्फीली चट्टानें बहुत तेजी से पिघलेंगी

-बड़े पैमाने पर लू के थपेड़ों के साथ सूखा, भारी बारिश की वजह से बाढ़ बन जायेगी नियति

-आर्कटिक समुद्र में पिघल रही है बर्फ, हमेशा जमी रहने वाली बर्फ का घट रहा है दायरा

Posted By : Amitabh Kumar

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