IP&TAFS: संस्थागत चुनौतियां प्रामाणिक संवाद और सार्थक अभिव्यक्ति की कमी से उत्पन्न होती हैं

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि "ग्रामीण क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी अपनाने के लिए नवाचारी वित्तीय मॉडलों पर ध्यान केंद्रित करने की है जरूरत

By Anjani Kumar Singh | December 14, 2024 5:55 PM

IP&TAFS:इंडियन पोस्ट एंड टेलीकम्यूनिकेशन अकाउंट एंड फाइनेंस सर्विस(आईपी एंड टीएएफएस) के  50वें स्थापना दिवस पर सिविल सेवकों को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि, आधुनिक सिविल सेवक को तकनीकी रूप से सक्षम होना चाहिए, परिवर्तन के संवर्धक होने चाहिए और पारंपरिक प्रशासनिक सीमाओं को पार करना चाहिए. सेवा हमारा आधार है. आपके कार्य, प्रशासनिक, वित्तीय सलाहकार, नियामक और लेखा परीक्षकों के रूप में विकसित होने चाहिए, ताकि वे कल की चुनौतियों का सामना कर सकें. इस विकास की मांग है कि हम सेवा वितरण को पारंपरिक तरीकों से अत्याधुनिक समाधानों में बदलें.


अभिव्यक्ति और संवाद लोकतंत्र के अनमोल रत्न

सिविल सेवकों से डिजिटल विभाजन को पाटने का आह्वान करते हुए धनखड़ ने कहा, ग्रामीण क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी अपनाने के लिए नवाचारी वित्तीय मॉडलों पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है. दुनिया की सबसे बड़ी युवा जनसंख्या, जिसे हम ‘जनसांख्यिकीय लाभांश’ कहते हैं, भारत का यह लाभ अपार अवसर प्रदान करता है. आपके डिजिटल प्रयासों को इस युवा प्रतिभा पूल का फायदा उठाकर, कौशल विकास और डिजिटल उद्यमिता के माध्यम से आगे बढ़ाना चाहिए.

उपराष्ट्रपति ने संस्थागत चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए कहा, “आजकल की संस्थागत चुनौतियां, भीतर और बाहर से, अक्सर प्रामाणिक संवाद और सार्थक अभिव्यक्ति की कमी से उत्पन्न होती हैं. अभिव्यक्ति और संवाद लोकतंत्र के अनमोल रत्न हैं. अभिव्यक्ति और संचार एक-दूसरे के पूरक हैं. इन दोनों के बीच सामंजस्य सफलता की कुंजी है.” इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया, संचार एवं उत्तर-पूर्व क्षेत्र विकास मंत्री  मनीष सिन्हा, सदस्य वित्त, डिजिटल संचार आयोग और अन्य अधिकारी उपस्थित थे.


स्वयं का मूल्यांकन बहुत जरूरी


उपराष्ट्रपति ने कहा कि “हमारे भीतर अहंकार अनियंत्रित होता है, हमें इसे नियंत्रित करने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए. अहंकार किसी के लिए नहीं है, यह सबसे अधिक उस व्यक्ति को नुकसान पहुंचाता है, जो इसे अपने भीतर रखता है.” स्वयं के मूल्यांकन पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि स्वयं का मूल्यांकन बहुत महत्वपूर्ण है. अगर कोई भी व्यक्ति या संस्था आत्म-समीक्षा से परे हो, तो उसका पतन निश्चित है.  इसलिए, स्वयं का मूल्यांकन बहुत आवश्यक हैं. 

भारत की लोकतांत्रिक यात्रा यह दिखाती है कि विविधता और विशाल जनसंख्या की क्षमता राष्ट्रीय प्रगति को कैसे प्रेरित कर सकती है. जैसे-जैसे हम आगे बढ़ते हैं, हमें यह पहचानना होगा कि लोकतांत्रिक स्वास्थ्य और आर्थिक उत्पादकता राष्ट्रीय विकास के अपरिहार्य भागीदार हैं.

लोकतंत्र में मूल्यों के महत्व को रेखांकित करते हुए, धनखड़ ने कहा, लोकतंत्र केवल प्रणालियों पर निर्भर नहीं होता, बल्कि यह मूल्यों पर आधारित होता है… यह अभिव्यक्ति और संवाद के बीच संतुलन पर केंद्रित होता है. ये दोनों शक्तियां लोकतांत्रिक जीवन की प्रेरक शक्ति हैं. इनकी प्रगति का माप व्यक्तिगत पदों से नहीं, बल्कि समाज के व्यापक लाभ से होना चाहिए. 

 इस अवसर पर माननीय मंत्री  ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया, संचार एवं उत्तर-पूर्व क्षेत्र विकास मंत्री, मनीष सिन्हा, सदस्य वित्त, डिजिटल संचार आयोग और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे.

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