Iqbal vs Savarkar: डीयू में 75 साल से क्यों पढ़ाये जा रहे थे इकबाल? कुलपति बोले-पाकिस्तान बनाने में अहम भूमिका
विश्वविद्यालय ने बीए (ऑनर्स) राजनीति विज्ञान पाठ्यक्रम के पांचवें सेमेस्टर में महात्मा गांधी के स्थान पर एक ‘पेपर’ में हिंदुत्व विचारक विनायक दामोदर सावरकर को शामिल किया है. महात्मा गांधी पर अध्याय अब सेमेस्टर सात में पढ़ाया जाएगा.
दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के राजनीति विज्ञान के पाठ्यक्रम में मोहम्मद इकबाल के अध्याय को कथित रूप से हटा दिया गया है और भारतीय क्रांतिकारी वीर सावरकर पर अध्याय को जोड़ दिया गया है. अब इस मामले ने बवाल का रूप ले लिया है. बवाल के बाद सावरकर के पोते रणजीत ने कहा, यह बहुत अच्छी खबर है.
डीयू के कुलपति योगेश सिंह ने बोले- पिछले 75 सालों से हम क्यों पढ़ा रहे थे मोहम्मद इकबाल को
डीयू के कुलपति योगेश सिंह मोहम्मद इकबाल पर अध्याय को हटाने और राजनीति विज्ञान के पाठ्यक्रम में भारतीय क्रांतिकारी वीर सावरकर पर अध्याय जोड़ने पर कहा, मुझे नहीं पता कि हम उनके (मोहम्मद इकबाल के) हिस्से को पिछले 75 साल से क्यों पढ़ा रहे थे. मैं मानता हूं कि उन्होंने लोकप्रिय गीत ‘सारे जहां से अच्छा’ की रचना कर भारत की सेवा की, लेकिन उस पर उन्होंने कभी विश्वास नहीं किया. कुलपति योगेश सिंह ने कहा, पाकिस्तान के निर्माण में मोहम्मद इकबाल की बड़ी भूमिका रही है.
महात्मा गांधी के स्थान पर एक ‘पेपर’ में विनायक दामोदर सावरकर को शामिल किया गया
गौरतलब है कि विश्वविद्यालय ने बीए (ऑनर्स) राजनीति विज्ञान पाठ्यक्रम के पांचवें सेमेस्टर में महात्मा गांधी के स्थान पर एक ‘पेपर’ में हिंदुत्व विचारक विनायक दामोदर सावरकर को शामिल किया है. महात्मा गांधी पर अध्याय अब सेमेस्टर सात में पढ़ाया जाएगा, इसका मतलब यह होगा कि चार साल के कार्यक्रम के बजाय तीन साल के स्नातक पाठ्यक्रम का चयन करने वाले छात्र गांधी का अध्ययन नहीं करेंगे.
#WATCH | DU vice-chancellor Yogesh Singh speaks on the removal of chapter on Muhammad Iqbal and the addition of chapter on Indian revolutionary Veer Savarkar in Political Science syllabus, says, "I don't know why we were teaching his (Muhammad Iqbal's) part in the syllabus for… pic.twitter.com/f24CfKVbI8
— ANI (@ANI) May 30, 2023
शिक्षा का भगवाकरण करने का लगा आरोप
शुक्रवार को शैक्षणिक परिषद की बैठक में इस संबंध में प्रस्ताव पारित किया गया. इस कदम की अध्यापकों के एक वर्ग ने तीखी आलोचना की है, जिन्होंने इसे शिक्षा का भगवाकरण और गांधी और सावरकर की तुलना करने का प्रयास करार दिया है. शैक्षणिक परिषद के सदस्य आलोक पांडे ने कहा, पहले, सेमेस्टर पांच में गांधी पर एक पेपर होता था और सेमेस्टर छह में आंबेडकर पर एक पेपर होता था. उन्होंने कहा, अब, उन्होंने सावरकर पर एक पेपर शामिल किया है. हमें इससे कोई समस्या नहीं है. लेकिन उन्होंने इसे गांधी को हटाकर किया है. उन्होंने गांधी पर पेपर को सेमेस्टर पांच से सात में स्थानांतरित कर दिया है.