IRCTC/Indian Raiways News, Raiway News: कोरोना संकट काल में बंद की गईं रेल सेवाएं धीरे-धीरे बहाल हो रहीं हैं. 12 सितंबर से स्पेशल ट्रेनों की संख्या 300 से ज्यादा हो जाएगी. इसी बीच खबर है कि भारतीय रेलवे यात्रियों की सुविधाओं के मद्देनजर एसी ट्रेनों की संख्या बढाने की तैयारी में हैं. आम लोग भी कम दाम में एसी कोच में सफर कर सकें इसलिए रेलवे ने नया प्लान है.
प्लान के मुताबिक, स्लीपर और अनारक्षित कोच को एसी कोच में बदला जाएगा. रिपोर्ट के मुताबिक, अपग्रेड किए हुए स्लीपर कोच को इकोनॉमिकल एसी 3-टियर कहा जाएगा. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, रेल कोच फैक्ट्री कपूरथला को स्लीपर कोच के एसी कोच में बदलने काम सौंप भी दिया गया है. इनके लिए डिजाइन को अंतिम प्रारूप दिया जा रहा है. कोरोना संकट में भारतीय रेलवे से जुड़ी हर Breaking News in Hindi से अपडेट के लिए बने रहें हमारे साथ.
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि इन नए इकोनॉमिकल एसी 3-टियर में सीटों (बर्थ) की संख्या 72 की जगह 83 होगी. इन कोच को एसी-3 टियर टूरिस्ट क्लास भी कहा जाएगा. बात अगर करें किराए की तो रिपोर्ट के अनुसार इन ट्रेनों का किराया भी सस्ता होगा. सूत्रों के मुताबिक, नए डिब्बों में इलेक्ट्रिकल यूनिट्स को शिफ्ट किया जाएगा और कंबल-चादर रखने के कंपार्टमेंट को भी खत्म किया जाएगा, जिससे डिब्बे के अंदर ज्यादा जगह बनेगी. बता दें कि रेलवे पहले ही ट्रेनों में कंबल और अन्य सुविधाएं बंद करने का फैसला कर चुका है.
पहले चरण में इस तरह के 230 डिब्बों का निर्माण किया जाएगा. रिपोर्ट में एक अधिकारी के हवाले से लिखा गया है कि यह एसी-3 टियर का ही सस्ता प्रारूप होगा. इससे पूरी एसी ट्रेन को यात्रियों के लिए वहन योग्य बनाया जा सकेगा. हर कोच को बनाने में 2.8 से 3 करोड़ रुपए तक का अनुमानित खर्चा आएगा, जो कि एसी 3-टियर को बनाने के खर्च से 10 फीसदी ज्यादा है. हालांकि, ज्यादा बर्थ और मांग के चलते रेलवे को इकोनॉमिकल एसी 3-टियर से अच्छी कमाई की उम्मीद है. इसके अलावा अनआरक्षित जनरल क्लास के डिब्बों को भी 100 सीट के एसी डिब्बों में बदला जाएगा.
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बता दें कि आखिरी बार यूपीए के पहले कार्यकाल में (2004-09) ने इकोनॉमिकल एसी 3-टियर क्लास डिब्बों को तैयार करने के बारे में योजना तैयार की थी. तब रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने गरीब रथ एक्सप्रेस शुरू की थी. इन ट्रेनों साइड मिडल बर्थ की भी शुरुआत की गई थी, जिससे डिब्बों की क्षमता और रेलवे की कमाई को भी बढ़ाया गया. हालांकि इस कारण लोगों ने ट्रेन में अव्यवस्था और भीड़भाड़ की शिकायत की थी. बाद में इस तरह के कोच का उत्पादन बंद कर दिया गया.
Posted By: Utpal kant