नयी दिल्ली : कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus pandemic) की लागू लॉकडाउन से प्रभावित देश में क्या केंद्रीय कर्मचारियों की नौकरी पर भी खतरा है? क्या भारत सरकार 5 लाख केंद्रीय कर्मचारियों की नौकरी से निकालने की तैयारी कर रही है? मीडिया के एक न्यूज रिपोर्ट में तो ऐसा ही दावा किया जा रहा है कि केंद्र सरकार 5 लाख केंद्रीय कर्मचारियों को नौकरी से निकालने की तैयारी कर रही है. क्या यह सही है? इसका एक ही जवाब है और वह है नहीं. रिपोर्ट में किया गया दावा सही नहीं है.
सोशल मीडिया पर वायरल : दरअसल, सोशल मीडिया में एक रिपोर्ट वायरल हो रही है, जिसमें इस बात का जिक्र किया गया है, ‘केंद्र सरकार ने 5 लाख केंद्रीय कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाने के लिए प्रस्ताव बनाया है. इसके लिए उस कानून का सहारा लिया जा रहा है, जिसमें 55 साल की उम्र में सेवानिवृत्त कर दिए जाने का प्रावधान है. इसी के तहत कुंडली बनाने का काम किया जा रहा है.’
पुरानी रिपोर्ट का कुछ अंश : इस न्यूज रिपोर्ट में यह भी कहा गया है, ‘इस मामले में कार्मिक विभाग ने आयुध निर्माणियों के अलावा रेलवे को मुख्य निशाना बनाया गया है. केंद्रीय कर्मचारियों का सबसे बड़ा हिस्सा इन्हीं संस्थानों का है.’ वायरल खबर में इस बात का भी जिक्र किया गया है, ‘इस मामले में केंद्रीय कार्मिक विभाग ने जो जानकारी मांगी है, उसमें कर्मचारियों की 55 साल उम्र या फिर 30 साल की नौकरी पूरी होने की बात कही गयी है.’
फैक्ट चेक : सोशल मीडिया में वायरल हो रही यह खबर काफी पुरानी लगती है. सोशल मीडिया पर यह खबर एक साल पहले यानी मई, 2019 के दौरान भी वायरल हुई थी. इंटरनेट की दुनिया में www.employeetoday.com पर यही खबर करीब एक साल पहले यानी 12 मई, 2019 को भी अपलोड किया गया था, जिसके शीर्षक के रूप में रिपोर्ट की हेडिंग ‘5 लाख केंद्रीय कर्मियों को बाहर करने की तैयारी’ लिखा हुआ है.
पीआईबी का खंडन : अब 11 जून यानी गुरुवार को PIB fact Check ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर ट्वीट करके इस बात की जानकारी दी है, ‘फेक न्यूज. सरकार ऐसे किसी प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रही है. कृपया फैलायी जा रही खबरों से सावधान रहें.’
सुझाव : इस कोरोना संकट की घड़ी में ही नहीं, देश में जब कभी भी विषम परिस्थिति बनती है, तब इस प्रकार की फेक न्यूज या फिर भीड़ को भड़काने वाली सूचनाएं सोशल मीडिया में तेजी से प्रसारित होती हैं. ऐसे में, जरूरत इस बात की है कि हम सोशल मीडिया में प्रसारित होने वाली हर सूचनाओं को सही मानने की गलती न करें. पहले, उसे परखें और जब सूचनाएं ताजी, आधिकारिक और पुष्ट हों, तो भरोसा करें. खासकर, दावा करने वाली जैसी सूचनाओं पर तो तत्काल भरोसा न ही करें.