ISI ने अफगानिस्तान में भारत निर्मित संपत्तियों को निशाना बनाने का पाकिस्तानी लड़ाकों-तालिबान को दिये निर्देश
ISI, Afghanistan, India Made Property : नयी दिल्ली : पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) ने पिछले कई सालों में युद्धग्रस्त देश अफगानिस्तान में तालिबान के साथ-साथ पाकिस्तानी लड़ाकों को भारतीय निर्मित संपत्तियों को लक्षित करने के निर्देश दिये हैं.
नयी दिल्ली : पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) ने पिछले कई सालों में युद्धग्रस्त देश अफगानिस्तान में तालिबान के साथ-साथ पाकिस्तानी लड़ाकों को भारतीय निर्मित संपत्तियों को लक्षित करने के निर्देश दिये हैं. न्यूज एजेंसी एएनआई ने यह जानकारी दी है.
Pakistani fighters, Taliban instructed to target India-built assets in Afghanistan
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— ANI Digital (@ani_digital) July 18, 2021
मालूम हो कि भारत सरकार ने पिछले दो दशकों से अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण में तीन बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश किया है. इनमें भारतीय योगदान के सबसे बड़े प्रतीक डेलाराम और जरांज सलमा बांध के बीच 218 किलोमीटर की सड़क और अफगानिस्तान के लोगों के लिए अफगान संसद भवन हैं. इसका उद्घाटन साल 2015 में किया गया था.
अनुमान और इनपुट के मुताबिक, अशरफ गनी के नेतृत्व वाली अफगानिस्तान सरकार के खिलाफ तालिबान के हमले का खुलकर समर्थन करने के लिए 10 हजार से अधिक पाकिस्तानियों ने अफगानिस्तान में युद्ध क्षेत्र में प्रवेश किया है. अफगानिस्तान की निगरानी करनेवाले सरकारी सूत्रों ने एएनआई को बताया है कि पाकिस्तानी और तालिबान लड़ाकों को भारत में निर्मित संपत्तियों को लक्षित करने और भारतीय सद्भावना के किसी भी संकेत को हटाने के लिए विशेष निर्देश के साथ भेजा गया है.
भारत ने अफगानिस्तान में शिक्षा के क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान दिया था. साथ ही अपने शिक्षकों और सहायक कर्मियों को प्रशिक्षित करने में बड़ी भूमिका निभायी थी. हक्कानी नेटवर्क सहित पाकिस्तान समर्थित इस्लामिक आतंकी समूह वहां भारत के खिलाफ वर्षों से अधिक सक्रिय हैं.
भारतीय पक्ष इस मुद्दे पर भी असमंजस में है कि क्या उन्हें काबुल में अपनी उपस्थिति बनाये रखने की अनुमति दी जायेगी. क्योंकि, अभी तक अति-कट्टरपंथी इस्लामी समूह की ओर से कोई आश्वासन या संकेत नहीं दिया गया है, जिसे भारत के विरोध के रूप में देखा गया है.
भारतीय एजेंसियां काबुल हवाईअड्डे पर भी स्थिति पर करीब से नजर रखे हुए हैं, जो अब बहुत लंबे समय तक अमेरिकी सुरक्षा में नहीं रहनेवाला है. बगराम हवाई अड्डे सहित अमेरिकियों के अधीन कई हवाई क्षेत्र जो तालिबान के साथ चल रहे सत्ता संघर्ष के कारण खाली हो गये हैं.
नागरिक कार्यों में लगे भारतीय कामगारों को भी बाहर जाने को कहा गया है. भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी WAPCOS में बांध परियोजनाओं के लिए कुछ अधिकारी थे. भारत ने हाल ही में काबुल शहर को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए शाहतूत बांध सहित लगभग 350 मिलियन अमेरिकी डॉलर के कार्यों की भी घोषणा की थी.