भारत तक पहुंची इजरायल-हमास युद्ध की आंच, ईरान ने किया जहाज पर ड्रोन हमला! पेंटागन का बड़ा दावा
अरब सागर में गुजरात के पोरबंदर तट के पास शनिवार को एक ड्रोन के द्वारा एक रासायनिक टैंकर पर हमला किया गया था, जिसमें लगभग 20 भारतीय चालक दल सवार थे. अब पेंटागन ने यह दावा किया है कि वह ईरान से दागा गया था.
अरब सागर में गुजरात के पोरबंदर तट के पास शनिवार को एक ड्रोन के द्वारा एक रासायनिक टैंकर पर हमला किया गया था, जिसमें लगभग 20 भारतीय चालक दल सवार थे. अब पेंटागन ने यह दावा किया है कि वह ईरान से दागा गया था. पेंटागन ने रविवार को एक बयान में कहा कि हमला स्थानीय समयानुसार सुबह 10 बजे के आसपास हुआ और जापानी स्वामित्व वाले जहाज पर कोई हताहत नहीं हुआ, साथ ही आग बुझा दी गई है.
लाल सागर में हूतियों की ओर से जहाजों को बनाया जा रहा निशाना
साथ ही पेंटागन ने बयान में यह भी कहा है कि अभी लाल सागर में हूतियों की ओर से जहाजों को निशाना बनाया जा रहा था. लेकिन, अब इस हमले ने लाल सागर से अलग वाणिज्यिक शिपिंग के लिए नए खतरे का संकेत दिया है. बता दें कि यह हमला तब हुआ है जब ईरान के समर्थन वाले हूती विद्रोही लाल सागर में जहाजों को ड्रोन और अन्य चीजों से निशाना बना रहे हैं.
हमले में जहाज पर आग लग गई
साल की बीच में 7 अक्टूबर को इजराइल पर हमास के द्वारा किये गए हमले के बाद युद्ध शुरू हुआ है. हालांकि, इस युद्ध के विरोध में हूती विद्रोही जहाजों पर हमला कर रहे हैं. इन विद्रोहियों का कहना है कि इजरायल से जुड़े जहाजों को वह निशाना बनाएंगे. ऐसे में कहा जा रहा है कि इसी क्रम में भारत पर हमला हुआ है क्योंकि भारत के संबंध इजरायल के साथ अच्छे है. ऐसे में बता दें शनिवार को हुए इस हमले में जहाज पर आग लग गई, लेकिन कोई हताहत नहीं हुआ. यह घटना सुबह 10 बजे हुआ है.
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आग पर काबू पा लिया गया
मीडिया एजेंसी नवभारत टाइम्स के अनुसार, आग पर अभी काबू पा लिया गया है. बयान में कहा गया, ‘अमेरिकी सेना जहाज के साथ संचार में बनी है और यह भारत में एक गंतव्य की ओर बढ़ रहा है.’ पेंटागन के मुताबिक ड्रोन हमला भारत के तट से 200 समुद्री मील (370 किमी) दूर हुआ. साथ ही यह भी कहा गया कि अमेरिकी नौसेना का कोई जहाज आसपास नहीं था. इजरायल-हमास युद्ध शुरू होने के बाद यह पहली बार है जब पेंटागन ने ईरान पर सीधे हमले का आरोप लगाया है. पेंटागन के बयान में कहा गया है कि एमवी केम प्लूटो जहाज लाइबेरिया के झंडे के साथ चल रहा था. इसे एक डच इकाई की ओर से संचालित किया गया था. हालांकि जहाज का स्वामित्व एक जापानी कंपनी के पास है.