अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत की धाक जमती जा रही है. काफी कम समय में भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में गहरी छलांग लगाई है. इसी कड़ी में केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा है कि पीएम मोदी के हस्तक्षेप पर निजी प्रतिभागियों के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र को खोलने के बाद इसरो के पास आज बहुत कम समय में 100 से अधिक स्टार्टअप हैं. उन्होंने आगे कहा कि इस साल यानी 2023 के अंत तक, हम गगनयान के तहत मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन लॉन्च करने के लिए तैयार होंगे.
रनवे लैंडिंग प्रयोग की योजना: केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने इसी को लेकर बीते महीने संसद में कहा था कि इसरो साल 2023 की शुरुआत में कर्नाटक के चित्रदुर्ग में एयरोनॉटिकल परीक्षण स्थल से पुन: प्रक्षेपित होने वाले वाहन का पहला रनवे लैंडिंग प्रयोग करने की योजना बना रहा है. आगामी वर्ष भारत की पहली मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान परियोजना गगनयान से संबंधित प्रयोगें भी की जाएंगी. उन्होंने यह भी कहा था कि इसरो साल 2023 में विज्ञान प्रयोगों पर अपना ध्यान केंद्रित करेगा. इस साल सूर्य को समर्पित आदित्य और चंद्रमा को समर्पित चंद्रयान-3 मिशनों पर काम किया जाएगा.
स्टार्टअप भी अंतरिक्ष क्षेत्र में हो रहे शामिल: दूसरी ओर अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी प्रतिभागियों के लिए खोलने के बाद संबंधित अनुप्रयोगों के मामले में ऊंची उड़ान भरने के लिए तैयार है. गौरतलब है कि इस साल भारतीय स्टार्टअप ने भी जोरदार तरीके से अंतरिक्ष क्षेत्र में दस्तक दी है. इसी सिलसिले में स्काई रूट एयरोस्पेस ने विक्रम-एस रॉकेट का प्रक्षेपण किया था. तो दूसरी ओर पिक्सल नामक कंपनी ने अप्रैल में स्पेसएक्स कंपनी के फाल्कन-9 रॉकेट के जरिए अपने हाइपरस्पेक्ट्रल उपग्रह शकुंतला का प्रक्षेपण किया.
अग्निबाण रॉकेट के प्रक्षेपण की तैयारी: विक्रम-एस रॉकेट को प्रक्षेपित करने वाली कंपनी स्काई रूट एयरोस्पेस इस साल यानी 2023 में उपग्रह कक्षा में भेजने की योजना पर काम कर रही है. जबकि आईआईटी-मद्रास कैंपस में शुरू हुआ स्टार्ट-अप अग्निकुल कॉसमॉस भी अपने अग्निबाण रॉकेट के प्रक्षेपण के लिए तैयार है. इसी को लेकर पिक्सल के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी अवैस अहमद ने कहा, “हम छह वाणिज्यिक हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजरी उपग्रह विकसित कर रहे हैं, जो अगले साल प्रक्षेपण के लिए तैयार होंगे.
सैकड़ा पार कर चुकी है अंतरिक्ष स्टार्टअप की संख्या: भारतीय अंतरिक्ष संघ (ISPA) के सेवानिवृत्त महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल एके भट्ट ने कहा कि भारत में अंतरिक्ष स्टार्टअप की संख्या पहले ही 100 को पार कर चुकी है और इन स्टार्टअप ने 24.535 करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक की धनराशि जुटाई है. इस साल न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड ने लार्सन एंड टुब्रो द्वारा गठित अंतरिक्ष समूह को मंजूरी प्रदान की. साथ ही हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने अगले पांच पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (सीएसएलवी) के व्यावसायिक विकास के लिए 860 करोड़ रुपये का अनुबंध किया है.