भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का सबसे भारी रॉकेट एलवीएम3- एम2 रविवार को अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया गया और ब्रिटेन स्थित ग्राहक के लिए 36 ब्रॉडबैंड संचार उपग्रहों को निचली कक्षा (LEO) में स्थापित किया गया. इसरो ने इसे ऐतिहासिक मिशन करार दिया है. अंतरिक्ष विभाग के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) ने पूर्व में इसरो के एलवीएम3 बोर्ड पर वनवेब लियो उपग्रहों को प्रक्षेपित करने के लिए लंदन-मुख्यालय वाली नेटवर्क एक्सेस एसोसिएटेड लिमिटेड (वनवेब) के साथ दो लॉन्च सेवा अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए थे.
LVM3 M2/OneWeb India-1 mission is completed successfully. All the 36 satellites have been placed into intended orbits. @NSIL_India @OneWeb
— ISRO (@isro) October 22, 2022
रविवार को, 43.5 मीटर लंबा रॉकेट 24 घंटे की उलटी गिनती के अंत में यहां सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड से रात 12 बजकर 7 मिनट पर प्रक्षेपित किया गया. इस रॉकेट की क्षमता 8,000 किलोग्राम तक के उपग्रहों को अंतरिक्ष में ले जाने की है. यह मिशन इसलिए महत्वपूर्ण है कि एलवीएम 3 का पहला वाणिज्यिक मिशन है और प्रक्षेपण यान के साथ एनएसआईएल का भी पहला अभियान है. इसरो के अनुसार, मिशन में वनवेब के 5,796 किलोग्राम वजन के 36 उपग्रहों के साथ अंतरिक्ष में जाने वाला यह पहला भारतीय रॉकेट बन गया है.
रविवार को इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने घोषणा की कि अंतरिक्ष एजेंसी में कार्यरत वैज्ञानिकों के लिए दीपावली का त्योहार जल्दी शुरू हो गया है. इसरो ने ट्वीट किया, एलवीएम3 एम2/वनवेब इंडिया-1 मिशन सफलतापूर्वक पूरा हो गया है. सभी 36 उपग्रहों को निर्धारित कक्षाओं में स्थापित कर दिया गया है. इससे कुछ ही मिनट पहले सोमनाथ ने घोषणा की थी कि 16 उपग्रहों को वांछित कक्षाओं में स्थापित कर दिया गया है जबकि शेष को स्थापित करने में कुछ और समय लगेगा. यहां अंतरिक्ष केंद्र से रॉकेट के प्रक्षेपण के लगभग 75 मिनट बाद सभी 36 उपग्रह कक्षा में स्थापित हो गए.
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सोमनाथ ने मिशन नियंत्रण केंद्र में सभा को संबोधित करते हुए कहा कि एलवीएम3 और इसके पहले वाणिज्यिक मिशन के पूरी सटीकता के साथ कक्षा में स्थापित होने के साथ ही सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में दिवाली का जश्न शुरू हो गया है. इससे पहले उन्होंने कहा था, अब रॉकेट कक्षा में प्रवेश कर चुका है, 36 उपग्रहों में से 16 उपग्रह पहले ही कक्षा में दाखिल हो चुके हैं. मैं आपको बताना चाहता हूं कि यह उपग्रहों को अलग करने की एक धीमी प्रक्रिया है.