ISRO ने रचा इतिहास, मौसम की जानकारी देने वाली सैटेलाइट INSAT-3DS सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित

ISRO भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल कर लिया है. शनिवार शाम 5:35 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से जियोसिंक्रोनस लॉन्च व्हीकल F14 (GSLV-F14) पर INSAT-3DS मौसम उपग्रह लॉन्च किया गया. इससे पहले शुक्रवार दोपहर 2:30 बजे इसकी उलटी गिनती शुरू हो गई थी. तीसरी पीढ़ी के एक […]

By Pritish Sahay | February 18, 2024 4:27 PM

ISRO भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल कर लिया है. शनिवार शाम 5:35 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से जियोसिंक्रोनस लॉन्च व्हीकल F14 (GSLV-F14) पर INSAT-3DS मौसम उपग्रह लॉन्च किया गया. इससे पहले शुक्रवार दोपहर 2:30 बजे इसकी उलटी गिनती शुरू हो गई थी. तीसरी पीढ़ी के एक मौसम पूर्वानुमान संबंधी उपग्रह ‘इनसेट-3डीएस’ को सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित कर लिया गया. 51.7 मीटर लंबा जीएसएलवी-एफ14 रॉकेट से प्रक्षेपित किया गया.

मौसम उपग्रह INSAT-3DS लॉन्च

इसरो ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से जियोसिंक्रोनस लॉन्च वाहन F14 (GSLV-F14) पर INSAT-3DS मौसम उपग्रह लॉन्च किया.

क्या है मिशन का उद्देश्य

मिशन का उद्देश्य मौजूदा उपग्रहों इनसैट-3डी और इनसैट-3डीआर को उन्नत मौसम संबंधी जानकारियों के लिए निरंतर सेवाएं प्रदान करना, मौसम पूर्वानुमान, भूमि व महासागर सतहों की निगरानी कर आपदा संबंधी चेतावनियां देना, उपग्रह सहायता प्राप्त अनुसंधान और बचाव सेवाएं प्रदान करना है.

20 मिनट की उड़ान के बाद जीएसएलवी रॉकेट से अलग हुआ इनसैट-3डीआर

तीन चरणों वाला यह प्रक्षेपण यान लगभग 20 मिनट की उड़ान के बाद योजना के अनुसार रॉकेट से अलग हो गया और उपग्रह को निर्धारित कक्षा में स्थापित कर दिया. एक जनवरी को पीएसएलवी-सी58/एक्सपोसेट मिशन के सफल प्रक्षेपण के बाद 2024 में इसरो के लिए यह दूसरा मिशन है.

इनसैट-3 डीएस का जीवन काल लगभग 10 वर्ष

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के विभिन्न विभाग जैसे भारत मौसम विज्ञान विभाग, राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र, भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान, राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान, भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र और विभिन्न एजेंसियों और संस्थानों को बेहतर मौसम पूर्वानुमान और मौसम संबंधी सेवाएं प्रदान करने के लिए इनसैट-3डीएस द्वारा उपलब्ध कराए गए डेटा से लाभ मिलेगा. सूत्रों ने कहा कि इनसैट-3डीएस का जीवन काल लगभग 10 वर्ष होने की उम्मीद है.

इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने क्या कहा

इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि इस सफलता ने अंतरिक्ष एजेंसी को अधिक आत्मविश्वास दिया है क्योंकि जीएसएलवी को अगली बार एनआईएसएआर मिशन में तैनात किया जाएगा, जो अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा के साथ एक सहयोगात्मक प्रयास है. प्रक्षेपण को देखने के लिए एकत्र भीड़ ने रॉकेट के रवाना होने पर तालियां बजाकर खुशी जताई.

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