भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation) अपने गगनयान मिशन (Gaganyaan mission) के लिए मनुष्यों के अनुकूल अंतरिक्ष यान विकसित करने में डॉक्टरों की मदद ले रहा है. यह भारत का पहला मिशन है जिसमें इसरो का लक्ष्य अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा तक ले जाना है. अंतरिक्ष में उड़ान के दौरान मनुष्यों पर पड़ने वाले प्रभाव को समझने के लिए इसरो डॉक्टरों की मदद ले रहा है और उसके आधार पर वह अंतरिक्ष यान डिजाइन करेगा.
Also Read: Chandrayaan-3 के जल्द लॉन्च होने की उम्मीद, ISRO के पूर्व चीफ बोले- इस बार हम सफल होंगे
इस मिशन के लिए चुने गए अंतरिक्ष यात्री भी इस यान की डिजाइन प्रक्रिया का हिस्सा हैं. आपात चिकित्सा सेवाओं में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के उपयोग पर स्वास्थ्य विशेषज्ञों के साथ चर्चा के दौरान इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ (ISRO Chairman S Somnath) ने कहा, चार अंतरिक्ष यात्री गगनयान मिशन का हिस्सा हैं. हम उनसे बात करते हैं. वे कॉकपिट में बैठते हैं. हम उनसे विश्लेषण करने और सलाह देने को कहते हैं कि क्या सभी उपकरण उचित स्थान पर हैं, क्या उसमें रोशनी सही है, किसी तरह की कोई दिक्कत या परेशानी तो नहीं है.
सोमनाथ ने कहा कि इसरो के वैज्ञानिक मनुष्यों के अनुकूल अंतरिक्ष यान विकसित कर रहे हैं. उन्होंने कहा, हम इस पर भी ध्यान दे रहे हैं कि डॉक्टरों से इस मानवानुकूल अंतरिक्ष यान में कैसे मदद ली जाए. मानवानुकूल अंतरिक्ष यान डिजाइन करने के लिए डॉक्टरों और इंजीनियरों के बीच चर्चा हो रही है. अगर आपको मनुष्यों के अनुकूल अंतरिक्ष यान का सफल डिजाइन तैयार करना है और उसे भारत में बनाए रखना है तो हमें इस मिशन में अच्छे और काबिल डॉक्टरों की मदद की जरूरत है. केन्द्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह ने इससे पहले कहा था कि गगनयान मिशन श्रृंखला के पहले अंतरिक्ष यान (मानवरहित) के अगले साल उड़ान भरने की उम्मीद है.