चंद्रयान-3 की सफल लॉचिंग के बाद ISRO का एक और मिशन, PSLV-C56 छह उपग्रहों के साथ अंतरिक्ष के लिए होगा रवाना
ISRO Mission: इसरो अपने लॉन्च व्हीकल PSLV-C 56 के जरिये श्रीहरिकोटा के लॉन्च पैड से अंतरिक्ष में भेज रहा है. PSLV-C56 अपने साथ 360 किलोग्राम वजन के DS-SAR सैटेलाइट को 5 डिग्री झुकाव और 535 किलोमीटर की ऊंचाई पर निकट-भूमध्यरेखीय कक्षा में लॉन्च करेगा.
ISRO Mission: चंद्रयान-3 के सफल प्रक्षेपण के बाद इसरो (ISRO) अब अपने नये मिशन की जोर शोर से तैयारी कर रहा है. जल्द ही इसरो नया मिशन लॉन्च करेगा. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) 30 जुलाई को छह सह-यात्री उपग्रहों के साथ PSLV-C 56 मिशन लॉन्च कर रहा है. इसरो ने बताया कि छह सह-यात्री उपग्रहों के साथ PSLV-C 56 को 30 जुलाई को सुबह साढ़े 6 बजे सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा. इसरो की ओर से कहा गया है कि पीएसएलवी-सी 56 सिंगापुर की डीएसटीए एवं एसटी इंजीनियरिंग के डीएस-एसएआर उपग्रह और छह अन्य उपग्रहों को अंतरिक्ष में लेकर जाएगा.
इस सैटेलाइट को इसरो अपने लॉन्च व्हीकल PSLV-C 56 के जरिये श्रीहरिकोटा के लॉन्च पैड से अंतरिक्ष में भेज रहा है. PSLV-C56 अपने साथ 360 किलोग्राम वजन के DS-SAR सैटेलाइट को 5 डिग्री झुकाव और 535 किलोमीटर की ऊंचाई पर निकट-भूमध्यरेखीय कक्षा में लॉन्च करेगा. गौरतलब है कि चंद्रयान-3 को हाल में ही इसरो ने चांद के लिए रवाना किया है. पृथ्वी की कक्षा में परिक्रमा करने के बाद वो अगले महीने यानी अगस्त में चांद की धरती पर लैंड करेगा.
C56 (PSLV-C56) with six co-passenger satellites will be launched from Satish Dhawan Space Centre (SDSC) SHAR, Sriharikota on July 30 at 0630 hours: ISRO pic.twitter.com/XaCY9N8rlJ
— ANI (@ANI) July 24, 2023
इसरो ने पूरी की चंद्रयान-3 को चंद्रमा की कक्षा में ऊपर उठाने की चौथी प्रक्रिया
गौरतलब है कि इसरो का चंद्रयान-3 चांद पर पहुंचने का कवायद में है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के वैज्ञानिकों ने गुरुवार को ही चंद्रयान-3 को चंद्रमा की कक्षा में ऊपर उठाने की चौथी कवायद सफलतापूर्वक पूरी कर ली थी. इसरो ने यह काम टेलीमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क से किया. अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि इस तरह की अगली कवायद 25 जुलाई को दो दो और तीन बजे के बीच किए जाने की योजना है. इसने कहा कि भारत ने अंतरराष्ट्रीय चंद्रमा दिवस के अवसर पर चंद्रयान-3 को चंद्रमा के और करीब पहुंचा दिया है. बता दें, चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को प्रक्षेपित किया गया था. इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने चंद्रयान-3 को लेकर कहा कि लैंडर को 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर उतारने की योजना है.
अमेरिका, रूस और चीन की बराबरी कर लेगा भारत
बता दें, भारत ने 14 जुलाई को LVM3-M4 रॉकेट के जरिये अपने तीसरे मून मिशन यानी चंद्रयान-3 की सफल लॉन्चिंग की. चंद्रयान-3 41 दिन की अपनी यात्रा में चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर एक बार फिर सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश करेगा. बता दें दक्षिणी ध्रुव पर अभी तक किसी देश ने सॉफ्ट लैंडिंग नहीं की है. चांद की सतह पर अबतक अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ और चीन सॉफ्ट लैंडिंग कर चुके हैं. लेकिन, उनकी सॉफ्ट लैंडिंग चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर नहीं हो सकी है. वहीं, अगर इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) का 600 करोड़ रुपये का चंद्रयान-3 मिशन चार साल में अंतरिक्ष एजेंसी के दूसरे प्रयास में लैंडर को उतारने में सफल हो जाता है, तो अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ के बाद भारत चांद की सतह पर सॉफ्ट-लैंडिंग की तकनीक में सफलता प्राप्त करने वाला चौथा देश बन जाएगा.
क्यों लग रहा है 42 दिनों का समय
गौरतलब है कि नासा (NASA) ने अपने स्पेसशिप को महज चार दिनों से लेकर एक हफ्ते के अंदर ही चंद्रमा पर पहुंचा देता है. चीन ने भी इतने ही समय में अपने यान को चांद पर पहुंचा दिया था. वहीं भारत को ऐसा करने में 40 से लेकर 42 दिनों का समय लग रहा है. आखिर ऐसा क्यों हो रहा है. इस सवाल के जवाब में वैज्ञानिकों का कहना है कि पृथ्वी के चारों तरह घुमा कर स्पेसशिप को गहरे स्पेस में भेजने का प्रोसेस काफी किफायती होती है. नासा (NASA) के प्रोजेक्ट से अगर तुलना की जाए तो ISRO के प्रोजेक्ट्स काफी सस्ते होते हैं. केवल यहीं एक कारण यह भी है कि ISRO के पास फिलहाल NASA जितने बड़े और पावरफुल राकेट मौजूद नहीं हैं जिसे सीधे तौर पर चंद्रमा के ऑर्बिट में भेजा जा सके.
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