ISRO, PSLV:भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (Indian Space Research Organization, ISRO) सात नवंबर को रॉकेट पीएसएलवी सी 49 (PSLV c-49) का प्रक्षेपण करेगा. इसरो की ओर से यह इस साल का पहला सैटेलाइट होगा जो 7 नवंबर को लॉन्च होगा. श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (Satish Dhawan Space Center of Sriharikota) से इसे लॉन्च किया जाएगा. इस सैटेलाइट को 7 नवंबर दोपहर 3 बजकर 2 मिनट पर लॉन्च किया जाएगा. इसरो (ISRO) ने इसकी जानकारी दी है. इसरो का ये इस साल का पहला रॉकेट लॉन्च मिशन है.
इसरो का सैटेलाइट ईओएस 01 (Earth Observation Satellite) को PSLV-C49 (PSLV- C49) रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा. सी-49 नौ सैटेलाइट के साथ उड़ान भरेगा. इसके साथ रिसैट-2 बीआर-2 समेत अन्य वाणिज्यिक सैटेलाइट उड़ान भरेंगे. दिसंबर में पीएसएलवी सी 50 और जनवरी या फरवरी में जीसैट- 12 आर को भी स्पेस में छोड़ा जाएगा.
#ISRO #PSLVC49 set to launch #EOS01 and 9 Customer Satellites from Satish Dhawan Space Centre in Sriharikota at 1502 Hrs IST on Nov 7, 2020, subject to weather conditions.
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— ISRO (@isro) October 28, 2020
गौरतलब है कि ईओएस- 01 (EOS-01) अर्थ ऑब्जरवेशन रिसेट सैटेलाइट का ही एक एडवांस्ड सीरीज है. इसमें सिंथेटिक अपर्चर रडार (SAR) लगा है. जो किसी भी समय और किसी भी मौसम में पृथ्वी पर नजर रख सकता है. इस सैटेलाइट की सबसे बड़ी खासियत है कि इससे बादलों के बीच भी पृथ्वी को देखा जा सकता है है स्पष्ट तस्वीर खींची जा सकती है.
भारत की इस कामयाबी से पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान सकते में हैं. इस सैटेलाइट से भारतीय सेना को काफी मदद मिलेगी. दिन रात हर मौसम में सेना को दुस्मनों की गतिविधियों का पूरा पता चल सकेगा. इसकी मदद से भारतीय सेना चीन और पाकिस्तान की हर हरकत पर नजर रख सकेगी. सबसे खास बात की इस सैटेलाइट के जरिये भारतीय सेना एसएसी (LAC) और एलओसी (LOC) भी नजर रख सकेगी. इसके इलावा इसका उपयोग और भी कई कामों में हो सकेगा, जैसे- बाढ़ जैसी आपदाओं में इसका बेहतर इस्तेमाल हो सकेगा.
पीएसएलवा क्या है : पोलर सैटेलाइट लांच वेकल (Polar satellite launch vehicle, PSLV) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organization) द्वारा संचालित एक प्रक्षेपण प्रणाली है. जिसे भारत ने अपने सैटेलाइट को प्रक्षेपित करने के लिये विकसित किया है. पीएसएलवी छोटे आकार के उपग्रहों को भू-स्थिर कक्षा में भी भेज सकने में सक्षम है. अब तक पीएसएलवी की सहायता से 70 से अधिक अन्तरिक्षयानों को विभिन्न कक्षाओं में प्रक्षेपित किये जा चुका हैं.
Posted by: Pritish Sahay