12 अगस्त की सुबह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो (ISRO) इतिहास रचने से चूक गया. अर्थ ऑब्जरवेशन सैटलाइन (EOS-3) GSLV-F10 उड़ान भरने के दस सेकेंड पहले ही खराब हो गया.
#WATCH | Indian Space Research Organisation's GSLV-F10 lifts off successfully from Satish Dhawan Space Centre, Sriharikota (Source: DD) pic.twitter.com/2OV8iA06Xf
— ANI (@ANI) August 12, 2021
रॉकेट के तीसरे स्टेज में लगे इंजन से 18.29 मिनट पर सिग्लन आना बंद हो गया. मिशन कंट्रोल सेंटर में वैज्ञानिक के चेहरों पर तनाव साफ दिखने लगा. थोड़ी देर वैज्ञानिकों ने इंतजार किया फिर मिशन डॉयरेक्टर इसरो चीफ डॉ. के सिवन को खराबी की जानकारी दी. चीफ ने ऐलान किया कि क्रायोजेनिक इंजन में खराबी की वजह से मिशन सफल नहीं हो सका है.
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इस खराबी के बाद मिशन आंशिक तौर पर विफल रहा है. इस सूचना के बाद लॉचिंग का लाइव कार्यक्रम बंद कर दिया गया.अगर यह मिशन सफल होता तो कई तरह की उपलब्धियां इसरो के नाम दर्ज हो जाती.
प्रमुख रूप से तीन उपलब्धियां हासिल होती जिसमें सुबह पौने छह बजे सैटेलाइन की लांचिंग, जियो आर्टिब में अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट स्थापित करना और ओलाइव पेलोड फेयरिंग यानि बड़े उपग्रह को अंतरिक्ष में भेजने में सफलता हासिल करना .
मुख्य रुप से इस सैटेलाइन का काम अंतरिक्ष से धरती की निगरानी करना था. इसरो ने श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से आज सुबह 5 बजकर 43 मिनट पर जीएसएलवी-एफ 10 के जरिए धरती पर निगरानी रखने वाले उपग्रह EOS-03 का प्रक्षेपण शुरू किया कर दिया था दो चरणों में इस मिशन को सफलता भी मिल गयी थी लेकिन तीसरे चरण में इंजन में खराबी आ गयी.
इसरो ने 28 फरवरी को पहला मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया था. भारत का रॉकेट 28 फरवरी को श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से पहली बार ब्राजील का उपग्रह लेकर अंतरिक्ष रवाना हो हुआ था.