Loading election data...

शादी के बाद दंपती का साथ रहना जरूरी नहीं, यह कहते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तलाक को दी मंजूरी

Couple live together after marriage: सुप्रीम कोर्ट ने अपनी संवैधानिक शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए जोड़े को शादी के बंधन से मुक्त करने का काम किया, हालांकि महिला इसका विरोध करती नजर आई.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 14, 2021 8:14 AM

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दो दशक पुराने एक वैवाहिक रिश्ते को खत्म करने की इजाजत दी. इस खबर की चर्चा हो रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कुछ ऐसी बात कही जो कटु सत्य है. दरअसल कोर्ट की ओर से कहा गया कि दंपती एक दिन भी साथ नहीं रहा. एक साथ रहना अनिवार्य शर्त नहीं हो सकता है.

देश की शीर्ष अदालत ने अपनी संवैधानिक शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए जोड़े को शादी के बंधन से मुक्त करने का काम किया, हालांकि महिला इसका विरोध करती नजर आई. जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता में पीठ मामले की सुनवाई कर रही थी. पीठ ने कहा कि तलाक अपरिहार्य था. वैवाहिक बंधन किसी भी परिस्थिति में काम नहीं कर रहा था. महिला ने एक के बाद एक मामले दर्ज किये. वह पति पर क्रूरता जारी रखी. उसने पूरी कोशिश की कि पति की नौकरी चली जाए.

पीठ की ओर से कहा गया कि पति या पत्नी को नौकरी से हटाने के लिए ऐसी शिकायत करना ठीक नहीं. यह मानसिक क्रूरता को दर्शाता है. ऐसा आचरण विवाह के विघटन को दर्शाता है. सुप्रीम कोर्ट ने इस तथ्य पर भी ध्यान दिया कि दंपती फरवरी 2002 में शादी की. इस शादी के बाद वो एक दिन भी साथ नहीं रहा. वर्ष 2008 में तमिलनाडु में एक ट्रायल कोर्ट द्वारा तलाक मिल गया था. इसके बाद पुरुष ने दूसरी महिला से शादी कर ली. हालांकि फरवरी 2019 में हाईकोर्ट द्वारा तलाक के आदेश को दरकिनार करने का काम किया गया.

इसके बाद अपनी दूसरी शादी को बचाने की चिंता पुरुष को हुई. उसने इसके बाद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. शीर्ष अदालत ने पहले मध्यस्थता का सुझाव दिया. ऐसा इसलिए ताकि वे पहले से ही दो दशकों से अलग रह रहे हैं. लेकिन महिला अड़ी थी. वो कह रही थी कि उसके द्वारा शादी को खत्म करने के लिए मंजूरी नहीं दी जाएगी.

Also Read: पेगासस मामले पर केंद्र और सुप्रीम कोर्ट में बढ़ेगा तनाव, अदालत में हलफनामा दाखिल नहीं करेगी सरकार

महिला का यह मत था कि वैवाहिक संबंधों में सुधार की संभावना न होना. तलाक का आधार नहीं हो सकता. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भारत के संविधान के अनुच्छेद-142 का हावाला दिया. कोर्ट ने अपने विशेष अधिकार का प्रयोग करते हुए तलाक के जरिये पति-पत्नी को अलग कर दिया.

Posted By : Amitabh Kumar

Next Article

Exit mobile version