यौनकर्मियों को भी है सम्मान से जीने का अधिकार, परेशान न करे पुलिस: सुप्रीम कोर्ट

जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस बीआर गवई और एएस बोपन्ना की खंडपीठ ने कहा कि जब यह स्पष्ट हो जाता है कि यौनकर्मी अपनी मर्जी से काम कर रही है, तो पुलिस उसके मामले में हस्तक्षेप न करे. उसके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई से भी पुलिस को बचना चाहिए.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 26, 2022 4:39 PM

नयी दिल्ली: वेश्यावृत्ति में लिप्त लोगों को भी है सम्मान के साथ जीने का अधिकार. पुलिस उन्हें किसी रूप में परेशान न करे. न ही उन्हें किसी यौन गतिविधि के लिए मजबूर किया जाये. ये बातें सुप्रीम कोर्ट ने कहीं हैं. शीर्ष कोर्ट ने वेश्यावृत्ति को पेशा मानते हुए पुलिस और राज्यों को कई निर्देश दिये हैं. शीर्ष अदालत ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया से भी पत्रकारों के लिए कुछ जरूरी दिशा-निर्देश जारी करने के लिए कहा है.

यौनकर्मियों के काम में न हो किसी प्रकार का हस्तक्षेप

सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों से भी कहा है कि यौनकर्मियों के काम में किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए. वे भी आम लोगों की तरह समान सम्मान और सुरक्षा की हकदार हैं. जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस बीआर गवई और एएस बोपन्ना की खंडपीठ ने कहा कि जब यह स्पष्ट हो जाता है कि यौनकर्मी अपनी मर्जी से काम कर रही है, तो पुलिस उसके मामले में हस्तक्षेप न करे. उसके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई से भी पुलिस को बचना चाहिए.

यौनकर्मी भी यौन उत्पीड़न के मामले में मदद की हकदार

खंडपीठ ने कहा है कि अगर किसी यौनकर्मी का यौन उत्पीड़न किया जाता है, तो उसके कानून के अनुरूप तत्काल मेडिकल सहायता के साथ-साथ यौन हमले की पीड़िता को मिलने वाली तमाम सुविधाएं उपलब्ध करायी जानी चाहिए. तीन जजों की बेंच ने कहा कि ऐसा देखा गया है कि यौनकर्मियों के प्रति पुलिस का व्यवहार क्रूर और हिंसक होता है.

Also Read: West Bengal News: दुर्गापुर के यौन पल्ली में पुलिस वाले ने यौनकर्मियों को बेरहमी से पीटा, Video Viral
यौनकर्मियों न किया जाये प्रताड़ित

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यौनकर्मियों को देश के किसी भी नागरिक की तरह संविधान में प्रदत्त सभी बुनियादी मानवाधिकारों और अन्य अधिकारों का हक है. कोर्ट ने कहा कि पुलिस को उन्हें किसी भी रूप में प्रताड़ित नहीं करना चाहिए. उनके साथ सम्मान के साथ पेश आना चाहिए. कोर्ट ने यह भी कहा कि यौनकर्मियों को उनकी मर्जी के खिलाफ किसी भी यौन गतिविधि के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए.

कोर्ट ने कहा- मीडिया के लिए जारी किये जायें दिशा-निर्देश

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया से कहा है कि वह उचित दिशा-निर्देश जारी करे, जिसमें स्पष्ट किया जाये कि किसी भी यौनकर्मी की गिरफ्तारी, उनके यहां छापेमारी या किसी अन्य अभियान के दौरान उनकी पहचान उजागर न की जाये. भले वह आरोपी हो या पीड़ित.

Also Read: यौनकर्मियों को एड्स संक्रमण से बचाने के लिए सोनागाछी में होगी नयी शुरुआत
शेल्टर होम का होगा सर्वे

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों से कहा है कि वे अपने यहां शेल्टर होम का सर्वे करायें, ताकि जिन लोगों को उनकी इच्छा के विपरीत हिरासत में लिया गया है, उनकी समीक्षा करके समयबद्ध तरीके से उनकी रिहाई हो सके. सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने यह भी कहा कि अपने स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए यौनकर्मी जिन चीजों का इस्तेमाल करती हैं, उन्हें आपराधिक सामग्री न माना जाये. ऐसी सामग्रियों को अब सबूत के तौर पर कोर्ट में पेश भी नहीं किया जा सकेगा.

Next Article

Exit mobile version