जबलपुर का 30वां विवेचना राष्ट्रीय नाट्य समारोह, कला, संस्कृति और प्रयोग का अनोखा संगम
Jabalpur 30th Vivechana National Theatre Festival: जबलपुर में आयोजित 30वें विवेचना राष्ट्रीय नाट्य समारोह में 5 अनूठे नाटकों का मंच पर अभिनय हुआ.
Jabalpur 30th Vivechana National Theatre Festival: जबलपुर के तरंग सभागार (ऑडिटोरियम) में 6 से 10 नवंबर 2024 तक आयोजित विवेचना का 30वां राष्ट्रीय नाट्य समारोह सफलता और सराहना का प्रतीक बन गया. हर दिन दर्शकों से खचाखच भरे सभागार में 5 अनोखे नाटकों का मंचन किया गया, जिसने कला प्रेमियों को मंत्रमुग्ध कर दिया.
समारोह की भव्य शुरुआत
पहले दिन समारोह का उद्घाटन डॉ. राजेश धीरावानी और श्रीमती गीता शरद तिवारी ने किया. मध्य प्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी के जीएम राजीव गुप्ता समेत कई लोग भी उपस्थित रहे. उद्घाटन के आशीष पाठक द्वारा लिखित नाटक “अगरबत्ती” ने नारी उत्पीड़न की पीड़ा को मंच पर प्रभावशाली ढंग से व्यक्त किया.
दूसरे दिन का हास्य और गंभीरता का संगम
दिल्ली की साइक्लोरमा टीम ने दिलीप गुप्ता के निर्देशन में “ठेके पर मुशायरा” का मंच पर अभिनय किया. इरशाद खान सिकंदर के इस नाटक ने हास्य, करुणा और गंभीरता का अनोखा मेल प्रस्तुत किया, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा.
तीसरे और चौथे दिन का रंगमंच का प्रयोग
तीसरे दिन “रॉन्ग टर्न”, जो रंजीत कपूर द्वारा लिखित है, ने दर्शकों और आलोचकों को भाव विभोर कर दिया. चौथे दिन “पुनश्च कृष्ण” ने एक अनूठे प्रयोग के माध्यम से कृष्ण के जीवन से जुड़े अलग-अलग पात्रों के संवाद प्रस्तुत किए, जिसे दर्शकों ने खड़े होकर सराहा.
अंतिम दिन का हास्य-व्यंग्य
समारोह के समापन पर सईद आलम द्वारा निर्देशित और मृणाल माथुर द्वारा लिखित “अकबर द ग्रेट नहीं रहे” का मंचन (मंच पर अभिनय करना) हुआ. इस नाटक ने हास्य और व्यंग्य के माध्यम से समाज के तीखे सवालों को बड़ी कुशलता से उठाया. नाटक में वर्तमान घटनाओं को भी चुटीले अंदाज में शामिल किया गया, जो दर्शकों को अंत तक बांधे रखा.
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