जयराम रमेश ने नयी संसद को बताया ‘मोदी मल्टीप्लेक्स’, भड़की BJP, बोले जेपी नड्डा- कांग्रेस की दयनीय मानसिकता
Congress vs BJP: नये संसद भवन को लेकर कांग्रेस लगातार केंद्र सरकार पर हमला कर रही है. साथ ही बीजेपी की ओर से भी वार पर पलटवार किया जा रहा है. इसी कड़ी में कांग्रेस नेता रमेश ने केंद्र सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि नए संसद भवन को मोदी मल्टीप्लेक्स या मोदी मैरियट कहा जाना चाहिए.
Congress vs BJP: कांग्रेस सांसद जयराम रमेश के ने एक बार फिर केन्द्र सरकार पर हमला किया है. जयराम रमेश ने अपने सोशल मीडिया एक्स पर ट्वीट कर कहा कि नए संसद भवन को मोदी मल्टीप्लेक्स या मोदी मैरियट कहा जाना चाहिए. रमेश ने कहा कि 2024 में सत्ता परिवर्तन होने के बाद नए संसद का बेहतर उपयोग हो सकेगा. इधर, जयराम रमेश के ट्वीट पर पलटवार करते हुए बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा है कि कांग्रेस पार्टी के निम्नतम मानकों के हिसाब से भी यह एक दयनीय मानसिकता है. यह 140 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाओं के अपमान के अलावा और कुछ नहीं है. नड्डा ने कहा कि वैसे भी यह पहली बार नहीं है जब कांग्रेस संसद विरोधी काम कर रही है.
Even by the lowest standards of the Congress Party, this is a pathetic mindset. This is nothing but an insult to the aspirations of 140 crore Indians.
In any case, this isn’t the first time Congress is anti-Parliament. They tried in 1975 and it failed miserably.😀 https://t.co/QTVQxs4CIN
— Jagat Prakash Nadda (@JPNadda) September 23, 2023
कांग्रेस कर रही है केंद्र पर हमला
गौरतलब है कि नये संसद भवन को लेकर कांग्रेस लगातार केंद्र सरकार पर हमला कर रही है. साथ ही बीजेपी की ओर से भी वार पर पलटवार किया जा रहा है. इसी कड़ी में कांग्रेस नेता रमेश ने केंद्र सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि इतने प्रचार के साथ लॉन्च किया गया नया संसद भवन वास्तव में पीएम के उद्देश्यों को अच्छी तरह से साकार करता है. इसे मोदी मल्टीप्लेक्स या मोदी मैरियट कहा जाना चाहिए. रमेश ने कहा कि मैंने देखा कि दोनों सदनों के अंदर और लॉबी में बातचीत और बातचीत खत्म हो गई थी. यदि वास्तुकला लोकतंत्र को मार सकती है, तो संविधान को दोबारा लिखे बिना भी प्रधानमंत्री पहले ही सफल हो चुके हैं.
जयराम रमेश ने की नये और पुराने संसद भवन की तुलना
अपने ट्वीट में रमेश ने पुराने और नये संसद भवन की तुलना की है. रमेश ने कहा कि नये भवन में एक-दूसरे को देखने के लिए दूरबीन की जरूरत होगी, क्योंकि हॉल बिल्कुल आरामदायक या कॉम्पैक्ट नहीं है. पुराने संसद भवन की न केवल एक विशेष आभा थी बल्कि यह बातचीत की सुविधा भी प्रदान करता था. सदनों, सेंट्रल हॉल और गलियारों के बीच चलना आसान था. यह नया संसद के संचालन को सफल बनाने के लिए आवश्यक जुड़ाव को कमजोर करता है. दोनों सदनों के बीच त्वरित समन्वय अब अत्यधिक बोझिल हो गया है. पुरानी इमारत में, यदि आप खो गए थे, तो आपको अपना रास्ता फिर से मिल जाएगा क्योंकि यह गोलाकार था. नई इमारत में, यदि आप रास्ता भूल जाते हैं, तो आप भूलभुलैया में खो जाते हैं. पुरानी इमारत आपको जगह और खुलेपन का एहसास देती है जबकि नई इमारत लगभग क्लौस्ट्रफ़ोबिक है.
जयराम रमेश ने गिनाईं नये संसद भवन की कमियां
रमेश ने कहा कि संसद में घूमने का आनंद गायब हो गया है. मैं पुरानी बिल्डिंग में जाने के लिए उत्सुक रहता था. नया कॉम्प्लेक्स दर्दनाक और पीड़ादायक है. मुझे यकीन है कि पार्टी लाइनों से परे मेरे कई सहकर्मी भी ऐसा ही महसूस करते हैं. मैंने सचिवालय के कर्मचारियों से यह भी सुना है कि नए भवन के डिजाइन में उन्हें अपना काम करने में मदद करने के लिए आवश्यक विभिन्न कार्यात्मकताओं पर विचार नहीं किया गया है. ऐसा तब होता है जब भवन का उपयोग करने वाले लोगों के साथ कोई परामर्श नहीं किया जाता है.
The new Parliament building launched with so much hype actually realises the PM's objectives very well. It should be called the Modi Multiplex or Modi Marriot. After four days, what I saw was the death of confabulations and conversations—both inside the two Houses and in the…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) September 23, 2023
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64500 वर्ग मीटर फैला है नया संसद भवन
गौरतलब है कि नये संसद भवन का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन किया था. इस दौरान भव्य समारोह का आयोजन किया गया था. हालांकि कांग्रेस सहित 20 विपक्षी पार्टियों ने समारोह का बहिष्कार किया था. बता दें, त्रिभुजाकार वाले चार मंजिला संसद भवन का निर्मित क्षेत्र 64500 वर्ग मीटर है. भवन के तीन मुख्य द्वार हैं- ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार. इसमें वीआईपी (अति विशिष्ट व्यक्तियों), सांसदों और आगंतुकों के लिए अलग-अलग प्रवेश द्वार हैं.नये संसद भवन के निर्माण में उपयोग की गई सामग्री देश के विभिन्न हिस्सों से लाई गई है. इसमें प्रयुक्त सागौन की लकड़ी महाराष्ट्र के नागपुर से लाई गई है, जबकि लाल और सफेद बलुआ पत्थर राजस्थान के सरमथुरा से लाया गया है.