नई दिल्ली : संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन भारत के विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने बुधवार को कूटनीतिक तौर पर चीन के साथ हमारी नीति बेहद स्पष्ट है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) में एकतरफा बदलाव की कोशिशों को हम कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे. उन्होंने चीन को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर चीन ऐसा करना जारी रखता है और सीमाई क्षेत्रों में गंभीर चिंता करने वाली ताकतों को बढ़ावा दिया जाता है, तो हमारे संबंध सामान्य नहीं रहेंगे और यह असामान्यता पिछले कुछ साल से जारी है.
इसके अलावा, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कतर में पूर्व नौसेना अधिकारियों के मसले पर राज्यसभा में कहा कि यह बेहद संवेदनशील मामला है. उनके हित हमारे दिमाग में सबसे ऊपर हैं. राजदूत और वरिष्ठ अधिकारी कतर की सरकार के लगातार संपर्क में हैं. हम विश्वास दिलाते हैं कि वे हमारी प्राथमिकता में शामिल हैं. इसके साथ ही, उन्होंने विदेश नीति के मामले में रूस से कच्चे तेल की खरीद करने के मामले में कहा कि हम अपनी कंपनियों से रूसी तेल खरीदने के लिए नहीं कहते हैं. हम उनसे वह खरीदने के लिए कहते हैं, जो उनके लिए सबसे अच्छा विकल्प है. यह बाजार पर निर्भर करता है, यह एक समझदार नीति है कि भारतीय लोगों के हित में हमें सबसे अच्छा सौदा कहां मिलता है.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को भारत की विदेश नीति में विकास पर राज्यसभा की सराहना करते हुए कहा कि देश के बढ़ते वैश्विक हितों, विस्तार के पदचिह्न और अधिक गहन साझेदारी के बीच भारत की कूटनीति जारी है1 संसद में ‘भारत की विदेश नीति में नवीनतम विकास’ पर अपनी टिप्पणी देते हुए, जयशंकर ने कहा कि पिछले मानसून सत्र के बाद से भारत की कूटनीति में तेजी जारी रही, जब उन्होंने आखिरी बार भारतीय विदेश नीति पर अपडेट दिया था.
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उन्होंने कहा कि पिछले साल के मानसून सत्र के बाद से भारत की कूटनीति तेजी से जारी रही. माननीय राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने भारत और विदेशों में अपने कई विदेशी समकक्षों के साथ बातचीत की. हमने संयुक्त राष्ट्र प्रमुख सहित भारत में कई गणमान्य व्यक्तियों की मेजबानी करते हुए जी20, एससीओ और आसियान से जुड़े कार्यक्रमों में भी भाग लिया. उन्होंने भारत द्वारा प्रमुख विदेश नीति पहलों के बारे में संसद को अवगत कराते हुए कहा कि इन गतिविधियों ने भारत की बढ़ती रुचि, विस्तार और अधिक गहन साझेदारी को दर्शाया है. इन प्रयासों के माध्यम से हम एक ऐसी दुनिया में अपने राष्ट्रीय उद्देश्यों को आगे बढ़ाने में सक्षम थे, जो अनिश्चितताओं, व्यवधानों और प्रतिद्वंद्विता से घिरी हुई है.