UNGA में जयशंकर की चेतावनी, कहा- दुनिया नियति के भरोसे नहीं रह सकती
Gaza war: जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने हमेशा यह माना है कि शांति और विकास एक साथ चलते हैं.
Gaza war: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 79वें सत्र की सामान्य बहस में वैश्विक समुदाय को यूक्रेन और गाजा में चल रहे युद्धों को लेकर चेतावनी दी. उन्होंने कहा कि बड़े पैमाने पर हिंसा जारी रहने के प्रति दुनिया “नियति के भरोसे” नहीं रह सकती. जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि गाजा का युद्ध पहले ही “विस्तृत परिणाम” प्राप्त कर रहा है और वैश्विक समुदाय को इन संघर्षों का तत्काल समाधान खोजना चाहिए.
इजरायल का गाजा पर हमला 7 अक्टूबर को हमास के हमले के जवाब में शुरू हुआ था, लेकिन पहले सीमित दायरे में रहने वाला यह संघर्ष अब लेबनान तक फैल चुका है, क्योंकि इजरायल ने हिज्बुल्लाह के ठिकानों पर हमला किया, जिससे मध्य पूर्व में बहुध्रुवीय युद्ध का खतरा बढ़ गया है. जयशंकर ने शनिवार को कहा, “हम एक कठिन समय में एकत्रित हुए हैं. दुनिया अब तक कोविड महामारी के विनाश से उबर नहीं पाई है. यूक्रेन में युद्ध अपने तीसरे वर्ष में है. गाजा का संघर्ष व्यापक परिणाम प्राप्त कर रहा है.” शनिवार को हिज्बुल्लाह ने पुष्टि की कि उसका नेता, सैयद हसन नसरल्लाह, इजरायली हवाई हमले में मारा गया.
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जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने हमेशा यह माना है कि शांति और विकास एक साथ चलते हैं. “फिर भी, जब एक के लिए चुनौतियां सामने आईं, तो दूसरे को लेकर उचित ध्यान नहीं दिया गया. कमजोर और असहाय लोगों पर इसके आर्थिक प्रभावों को उजागर किया जाना चाहिए, लेकिन हमें यह भी स्वीकार करना होगा कि स्वयं संघर्षों को हल किया जाना चाहिए. दुनिया बड़े पैमाने पर हिंसा के निरंतर होने को लेकर नियति के भरोसे नहीं रह सकती, न ही इसके व्यापक परिणामों के प्रति असंवेदनशील हो सकती है.”
उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इन संघर्षों का तत्काल समाधान चाहता है. “इन भावनाओं को मान्यता दी जानी चाहिए और उस पर कार्रवाई की जानी चाहिए. जयशंकर ने आगे कहा कि दुनिया विभाजित, ध्रुवीकृत और निराश है. “बातचीत मुश्किल हो गई है, सहमतियां और भी ज्यादा. निश्चित रूप से यही संयुक्त राष्ट्र के संस्थापकों ने हमसे उम्मीद नहीं की थी.” जयशंकर ने कहा कि वैश्विक सुरक्षा और स्थिरता के लिए, जो दुनिया का नेतृत्व करना चाहते हैं उन्हें सही उदाहरण स्थापित करना चाहिए.
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एस जयशंकर ने पाकिस्तान की आलोचना की
इससे पहले, मंत्री ने पाकिस्तान को आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए आड़े हाथों लिया और कहा कि देश का “कर्म” उसकी खुद की समाज को निगल रहा है. “कई देश परिस्थितियों से पिछड़ जाते हैं जो उनके नियंत्रण से बाहर होती हैं, लेकिन कुछ देश जानबूझकर ऐसे निर्णय लेते हैं जिनके परिणाम विनाशकारी होते हैं. इसका प्रमुख उदाहरण हमारा पड़ोसी पाकिस्तान है,” आज हम देख रहे हैं कि जो बुराइयां उसने दूसरों पर थोपने की कोशिश कीं, वे अब उसकी समाज को निगल रही हैं. वह दुनिया को दोष नहीं दे सकता. यह सिर्फ उसका कर्म है.”