हिमालयी क्षेत्र में ग्लेशियर झील की निगरानी के लिए चेतावनी प्रणाली स्थापित करेगा जल शक्ति मंत्रालय
भारत में 50 हेक्टेयर से अधिक आकार की 477 हिमनद झीलें हैं. जलशक्ति विभाग इनके आकार में असामान्य वृद्धि के बारे में चेतावनी देता है.
नयी दिल्ली: जल शक्ति मंत्रालय ने ग्लेशियर झील की निगरानी के लिए हिमालयी क्षेत्र में ‘उन्नत चेतावनी प्रणाली’ स्थापित करने का प्रस्ताव तैयार किया है. इसे वर्ष 2026 तक चरणबद्ध तरीके से कार्यान्वित किया जायेगा. मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय जल आयोग ने हिमालयी क्षेत्र में नदी प्रणाली के ऊपरी इलाकों में ‘उन्नत चेतावनी प्रणाली’ स्थापित करने का प्रस्ताव तैयार किया है. इस पर करीब 95 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है.
प्रस्तावित योजना के अनुसार, प्रथम चरण में पहले दो वर्ष की अवधि के दौरान नदी प्रणाली के ऊपरी क्षेत्र में सायरन, सेंसर एवं अन्य उपकरण लगाये जायेंगे. इसके माध्यम से, खतरे की स्थिति में कुछ ही घंटों में स्थानीय निवासियों को चेतावनी दी जा सकेगी, ताकि ग्लेशियर झील के टूटने पर लोगों को बचाया जा सके.
उन्होंने बताया कि इस अवधि में 0.25 हेक्टेयर से अधिक आकार की ग्लेशियर झीलों की सूची तैयारी की जायेगी और मानसून की अवधि में 10 हेक्टेयर से बड़े आकार की सभी ग्लेशियर झीलों की मासिक आधार पर निगरानी की जायेगी.
Also Read: ग्लोबल वार्मिंग: हिमालय के ग्लेशियरों के पिघलने से बढ़ा समुद्र का जलस्तर, पानी को तरसेंगे लोग
अधिकारी के अनुसार, इस प्रस्ताव के दूसरे चरण में 2 से 5 वर्ष की अवधि में उपग्रह जानकारी एवं भू-सत्यापन के आधार पर अतिसंवेदनशील झीलों की सूची तैयार की जायेगी, तथा इन झीलों की निगरानी वर्तमान मासिक से बढ़ाकर साप्ताहिक की जायेगी. साथ ही, चिन्हित ग्लेशियर झीलों के संबंध में समय समय पर मॉडल तैयार कर, आवश्यक होने पर अतिरिक्त सेंसर या उपरकण स्थापित किये जायेंगे.
भारत में 50 हेक्टेयर से बड़ी 477 हिमनद झीलें
गौरतलब है कि भारत में 50 हेक्टेयर से अधिक आकार की 477 हिमनद झीलें हैं. जलशक्ति विभाग इनके आकार में असामान्य वृद्धि के बारे में चेतावनी देता है. भारत में लगभग 2038 झीलें 10 हेक्टेयर की हैं, जिनकी निगरानी के लिए योजना बनायी जा रही है.
Also Read: आपदा में भारत का मौसम! हिमालय से आफत बनकर पिघल रही बर्फ पर वैज्ञानिकों की चेतावनी
स्थायी समिति ने की थी चेतावनी प्रणाली स्थापित करने की सिफारिश
गौरतलब है कि उत्तराखंड में हिमखंड टूटने के कारण 7 फरवरी 2021 को अचानक आयी विकराल बाढ़ की घटना की संसद की एक स्थायी समिति ने समीक्षा की थी. इस समिति ने हिमालयी क्षेत्र में ऊपरी इलाकों में चेतावनी प्रणाली स्थापित करने की जरूरत पर जोर दिया था.