सुरेश एस डुग्गर, जम्मू
एक शिक्षक जो राज्य और केंद्र, दोनों सरकारों से सर्वश्रेष्ठ शिक्षक का खिताब पा चुका हो, वह इन दिनों घोड़े की सवारी कर रहा है. मकसद है, दुर्गम इलाकों में आतंकी खतरे के बीच शिक्षा की रोशनी फैलाना. दरअसल, कोरोना लॉकडउन के बाद रजौरी के पद्दर क्षेत्र स्थित मिडिल स्कूल खुल तो गया, लेकिन बच्चे नहीं आ रहे थे. इसने अध्यापक हरनाम सिंह जामवाल को चिंतित कर दिया. बकौल हरनाम सिंह, स्कूल में बहुत कम विद्यार्थी आ रहे थे. कई बार संदेश भी भेजे, लेकिन इसका भी कोई असर नहीं हुआ. तब उन्होंने ठाना कुछ भी हो, बच्चों को फिर स्कूल लाना होगा.
दूरदराज का इलाका. सड़कें भी नहीं हैं. घर-घर पैदल जाने में न जाने कितने दिन गुजर जाते. इस गांव के एक आदमी के पास घोड़ा था. हरनाम सिंह ने यह घोड़ा मांगा और छोटा लाउडस्पीकर लेकर शिक्षा की अलख जगाने निकल पड़े. यह हरनाम सिंह की खुशकिस्मती थी कि आतंकवादग्रस्त इलाका होने के बावजूद वह जिस भी घर में गये, लोगों ने उनकी बात ध्यान से सुनी. इसके बाद तो यह सिलसिला ही बन गया है. हरनाम सिंह सुबह छह बजे अपने घर से घोड़े पर सवार होकर निकल जाते हैं.
बच्चों को स्कूल भेजने के लिए लोगों को राजी करनके बाद वह दस बजे ठीक वक्त पर अपने स्कूल पहुंच जाते हैं. बकौल हरनाम सिंह, हर रोज 10-12 किमी का सफर घोड़े पर हो जाता है. लोग जागरूक हो रहे हैं और स्कूल आकर बच्चों के नाम लिखवा रहे हैं, ताकि नयी कक्षाओं में उन्हें दाखिला मिल सके. इसके साथ साथ जो बच्चे स्कूल नहीं आ रहे थे, उनका भी स्कूल आना शुरू हो चुका है.
हरनाम सिंह का स्कूल, रजौरी व रियासी जिले की सीमा पर अंतिम स्कूल है. यहां दस किलोमीटर के दायरे से बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं. इस स्कूल तक पहुंचने के लिए कोई सड़क नहीं है. बच्चों के साथ अध्यापकों को भी लगभग पांच किमी पैदल चल कर स्कूल पहुंचना पड़ता है. लॉकडाउन से पहले यहां 50 बच्चे पढ़ते थे, अब इसके आधे ही आ रहे हैं.
यही कारण था कि अध्यापक हरनाम सिंह को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने 2 मार्च 2020 को आइआइटी दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान सर्वश्रेष्ठ शिक्षक/ इनोवेटर के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया. साल 2018 और 2019 में जम्मू के स्कूल शिक्षा निदेशक भी उन्हें दो बार सर्वश्रेष्ठ शिक्षक के रूप में सम्मानित कर चुके हैं.