Jammu Kashmir Terrorism: जम्मू कश्मीर के राजौरी के धंगरी गांव में हाल के आतंकवादी हमले ने न केवल लोगों खासकर अल्पसंख्यकों के बीच दहशत का माहौल पैदा कर दिया है बल्कि, दो दशक पहले हुए बाल जाराल्लान नरसंहार की जख्मों को भी हरा कर दिया है. धंगरी से बाल जाराल्लान गांव की दूरी करीब चार किलीमीटर है. धंगरी में एक जनवरी को आतंकवादी हमले और अगले दिन बम विस्फोट में छह लोगों की मौत हो गयी थी और कई अन्य घायल हो गये थे.
बाल जाराल्लान नरसंहार 19 फरवरी, 1999 को हुआ था जब आतंकवादियों ने एक विवाहघर में घुसकर बारातियों का इंतजार कर रहे मेहमानों पर गोलियां बरसायी थीं. उस हमले में अल्पसंख्यक समुदाय के सात लोगों की मौत हो गयी थी और सात अन्य लोग घायल हो गये थे.
धंगरी गांव में रहने वाले दलीप सिंह ने इन घटनाओं के बारे में बताते हुए कहा कि हाल ही में घटी इन घटनाओं ने पुराने घाव को हरा कर दिया है और लोगों के मन में इस सीमावर्ती जिले में आतंकवाद के फिर से सिर उठाने का डर पैदा हो गया है. उन्होंने आगे बताते हुए कहा कि- मेरे कई करीबी रिश्तेदार शादी में गये हुए थे और हमें तब इस घटना का पता चला जब हमले के शिकार लोगों को हमारे घरों के सामने से अस्पताल ले जाया जा रहा था, क्योंकि उस समय तक जम्मू कश्मीर में मोबाइल फोन नहीं थे. दलीप सिंह ने आगे बताते हुए कहा कि- उनके कई रिश्तेदार उस हमले में बच गये थे. लेकिन ,अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को बहुत बड़ा झटका लगा था क्योंकि आसपास में अल्पसंख्यकों पर यह पहला ऐसा हमला था.
बाल जाराल्लान कांड के अलावा राजौरी जिले में अतीत में अल्पसंख्यकों पर हुए अन्य बड़े आतंकवादी हमलों में 1997 में स्वारी गांव में सात लोगों की हत्या कर दी गयी थी, सिलसिला यही नहीं रुका 1998 में भी कोटेधारा में पांच लोगों की हत्या . 2002 में भी निरोजाल में तीन लोगों की हत्या कर दी गयी थी. वहीं साल 2003 में पतरारा के पांच लोगों और साल 2005 में पांगलार में पांच व्यक्तियों की हत्या भी कर दी गयी थी. दलिप सिंह आगे बताते हुए कहा- अब इस धंगरी हमले ने अल्पसंख्यक समुदाय को न केवल ताजा घाव दिया है बल्कि उनके बीच आतंक का खौफ भी पैदा कर दिया है. (भाषा इनपुट के साथ)