Jammu Kashmir Congress: जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस को एक बार फिर से बड़ा झटका लगा है. दरअसल, जम्मू-कश्मीर के पूर्व विधायक और कांग्रेस नेता अशोक शर्मा ने शनिवार को पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी से इस्तीफा दे दिया. अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के विचार विभाग के राष्ट्रीय समन्वयक और प्रदेश कार्यकारी समिति के एक सदस्य शर्मा ने कहा कि उन्होंने मौजूदा स्थिति और अपरिहार्य परिस्थितियों के कारण यह कष्टकारी निर्णय लिया. वहीं, कांग्रेस के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद ने अपने पुरानी पार्टी पर कटाक्ष करते हुए शनिवार को कहा कि राजनीतिक विरोधियों से मिलने और बातचीत करने से किसी का डीएनए बदल नहीं जाता है.
सोनिया गांधी को लिखे अपने पत्र में अशोक शर्मा ने कहा कि मैं अपनी पार्टी को अपने दिल से प्यार करता था और इसे जमीनी स्तर पर मजबूत करने के लिए छोटी-छोटी क्षेत्रीय इकाइयों से लेकर कई राज्यों में दशकों तक लड़ता रहा. शर्मा ने वर्ष 1996 में राजौरी जिले के कालाकोट निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा चुनाव जीता था. वहीं, जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी ने शनिवार को पार्टी विरोधी गतिविधियों में वरिष्ठ नेता फारुक अहमद ख्याल को निष्कासित कर दिया. पार्टी के राज्य अध्यक्ष मंजीत सिंह ने यह जानकारी दी.
बता दें कि इसके पहले एक पूर्व उपमुख्यमंत्री, 8 पूर्व मंत्रियों, एक पूर्व सांसद, 9 विधायकों और बड़ी संख्या में पंचायती राज संस्थान के सदस्यों, नगर निगम पार्षदों और जम्मू-कश्मीर के अन्य जमीनी नेताओं समेत कई कांग्रेस नेता इस्तीफा देकर गुलाम नबी आजाद खेमे में शामिल हो चुके हैं. आजाद ने 26 अगस्त को कांग्रेस के साथ अपने पांच दशक के संबंधों को समाप्त करते हुए पार्टी को व्यापक रूप से बर्बाद करार दिया था. उन्होंने पार्टी के पूरे सलाहकार तंत्र को ध्वस्त करने के लिए राहुल गांधी पर भी हमला किया.
वहीं, कांग्रेस के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद ने अपने पुरानी पार्टी पर कटाक्ष करते हुए शनिवार को कहा कि राजनीतिक विरोधियों से मिलने और बातचीत करने से किसी का डीएनए बदल नहीं जाता है. पिछले दिनों आजाद ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था और पार्टी नेतृत्व खासकर राहुल गांधी पर निशाना साधा था. इस पर कांग्रेस ने पलटवार करते हुए कहा था कि आजाद का रिमोट कंट्रोल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास है और उनका डीएनए ‘मोदी-मय’ हो गया है. आजाद ने कहा कि हिंद और मुसलमान साथ रहते हैं. यह असामान्य बात नहीं है कि हिंदू अरबी और मुसलमान गीता का अध्ययन करते हैं. यही भारत की मिलीजुली संस्कृति रही है.
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