Jammu-Kashmir: अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के पोते को सरकारी नौकरी से बर्खास्त किया गया
Jammu Kashmir News जम्मू कश्मीर में कथित रूप से आतंकवाद का समर्थन करने के लिए अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के पोते अनीस उल इस्लाम को सरकारी सेवा से बर्खास्त किया कर दिया गया है. इसकी जानकारी प्रशासन के अधिकारी ने शनिवार देते हुए बताया कि अनीस उल इस्लाम रिसर्च ऑफिसर के तौर पर काम कर रहा था.
Jammu Kashmir News जम्मू कश्मीर में कथित रूप से आतंकवाद का समर्थन करने के लिए पाकिस्तान समर्थक अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के पोते अनीस उल इस्लाम को सरकारी सेवा से बर्खास्त किया कर दिया गया है. इसकी जानकारी प्रशासन के अधिकारी ने शनिवार को दी. अधिकारी ने बताया कि अनीस उल इस्लाम रिसर्च ऑफिसर के तौर पर काम कर रहा था. वहीं, सरकार ने डोडा के एक शिक्षक को भी नौकरी से निकाल दिया है.
अधिकारियों ने बताया कि अनीस उल इस्लाम अल्ताफ अहमद शाह उर्फ अल्ताफ फंटूश का बेटा है और उसे संविधान के अनुच्छेद 311 के तहत विशेष प्रावधान का इस्तेमाल कर नौकरी से निकाला गया है. इस्लाम को 2016 में तत्कालीन महबूबा मुफ्ती सरकार ने शेर ए कश्मीर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र में शोध अधिकारी नियुक्त किया गया था. बताया जा रहा है कि बतौर गवर्नमेंट सर्वेंट अपनी नियुक्ति से कुछ ही दिन पहले उसने 31 जुलाई 2016 से 7 अगस्त 2016 पाकिस्तान की यात्रा की थी और अपने दादा सैयद अली शाह गिलानी के हवाले से आईएसआई के कर्नल यासिर से मुलाकात की थी.
J&K: Anees-ul-Islam, grandson of separatist Syed Ali Shah Geelani dismissed from service with immediate effect. He was working as Research Officer in Sher-e-Kashmir International Convention Centre. The dismissal comes in accordance with Article 311 (2) (c) of the Constitution. pic.twitter.com/xIGehlKteF
— ANI (@ANI) October 16, 2021
जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने अनीस उल इस्लाम की बर्खास्तगी का आदेश आर्टिकल 311 के तहत दिया. उन्होंने साथ ही कठवा के डोडा के स्कूल में शिक्षक के तौर पर अपनी सेवा दे रहे फारूक अहमद बट्ट को भी नौकरी से निकालने का आदेश जारी किया. उनका भाई मोहम्मद अमीन बट्ट आतंकी बन गया है.
उल्लेखनीय है कि हुर्रियत के अलगावादी कश्मीरी नेता सैयद अली शाह गिलानी का 1 सितंबर को निधन हुआ था. सैयद अली शाह गिलानी को श्रीनगर में सुपुर्द-ए-खाक किया गया था. कश्मीर में व्यापक पैमाने पर मोबाइल सर्विस बंद किए जाने के साथ ही कड़ी सुरक्षा और पाबंदियों के बीच उनका अंतिम संस्कार किया गया. गिलानी ने आतंकी बुरहान वानी की एक मुठभेड़ में मौत के बाद पूरी कश्मीर घाटी को हिंसा की आग में झोंक दिया था. यह पता चला है कि अनीस को नियुक्त करने के लिए सरकार में शीर्ष अधिकारियों का दबाव था और पूरी भर्ती प्रक्रिया में हेरफेर की गई थी.
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