जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) के अलगाववादी नेता और हुर्रियत कांफ्रेंस (जी) के पूर्व अध्यक्ष सैयद अली शाह गिलानी (Syed Ali Shah Geelani) का बुधवार की रात निधन हो गया. उन्होंने श्रीनगर के हैदरपोरा स्थित आवास पर आखिरी सांस ली. पीडीपी चीफ और जम्मू कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) ने ट्वीट करके सैयद अली शाह गिलानी के निधन की जानकारी दी. सैयद अली शाह गिलानी के निधन के बाद घाटी में इंटरनेट सर्विस (J&K Internet Service) बंद कर दिया गया है.
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सैयद अली शाह गिलानी तीन बार विधायक रह चुके थे. उनके निधन की खबर पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट करके दी. उन्होंने ट्वीट में लिखा- ‘गिलानी साहब के निधन की खबर से बेहद दुखी हूं. हम ज्यादातर बातों पर सहमत नहीं हो सकते. लेकिन, मैं उनके दृढ़ निश्चय और विश्वासों पर खड़े होने की काबिलियत की इज्जत करती हूं. अल्लाह ताला उन्हें जन्नत दे. उनके परिवार और शुभचिंतकों के प्रति संवेदना दे.
Saddened by the news of Geelani sahab’s passing away. We may not have agreed on most things but I respect him for his steadfastness & standing by his beliefs. May Allah Ta’aala grant him jannat & condolences to his family & well wishers.
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) September 1, 2021
सैयद अली शाह गिलानी के निधन के बाद एहतियातन घाटी में पाबंदियों को लागू कर दिया गया है. घाटी में इंटरनेट सर्विस को भी बंद कर दिया गया है.
विजय कुमार, पुलिस महानिरीक्षक, कश्मीर रेंज
कश्मीरी नेता सैयद अली शाह गिलानी अलगाववादी विचारों के समर्थक थे. 29 सितंबर 1929 को पैदा हुए सैयद अली शाह गिलानी जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान के समर्थक थे. कुछ महीनों से खराब स्वास्थ्य के कारण उन्हें सार्वजनिक कार्यक्रमों में कम ही देखा जाता था. वो शुरुआत में जमात-ए-इस्लामी के सदस्य रहे थे.
आगे चलकर सैयद गिलानी ने तहरीक-ए-हुर्रियत की स्थापना की थी. सैयद अली शाह गिलानी ने ऑल पॉर्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष के रूप में भी काम किया था. सैयद अली शाह गिलानी ने राजनीति में भी हिस्सा लिया था. उन्होंने जम्मू-कश्मीर के सोपोर विधानसभा सीट से 1972, 1977 और 1987 में चुनाव जीतने में सफलता पाई थी. उन्होंने जून 2020 में हुर्रियत कॉन्फ्रेंस को छोड़ने का ऐलान किया था.
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हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का गठन साल 1993 में किया गया था. इसमें पाकिस्तान समर्थक जमात-ए-इस्लामी, जेकेएलएफ, दुख्तरान-ए-मिल्लत जैसे प्रतिबंधित संगठन समेत 26 समूह थे. इसमें मीरवाइज उमर फारूक की अध्यक्षता वाली आवामी एक्शन कमेटी शामिल थी. यह अलगाववादी संगठन 2005 में टूट गया था. इसके बाद नरमपंथी गुट का नेतृत्व मीरवाइज और कट्टरपंथी गुट का नेतृत्व सैयद अली शाह गिलानी के हाथों में आ गया था. केंद्र सरकार जमात-ए-इस्लामी और जेकेएलएफ को यूएपीए के तहत 2009 में प्रतिबंधित कर चुकी है.