Janmashtami: 5251 दीपों से जन्माष्टमी महोत्सव की शुरुआत, ठाकुर जी को अर्पित किया गया सोम चंद्रिका पोशाक
Janmashtami: 5251 दीपों से जन्माष्टमी महोत्सव की शुरुआत हुई. ठाकुर जी को अर्पित किया गया सोम चंद्रिका पोशाक. 5251 गाय के घी के दीपों को परिसर में स्थित श्रीगिरिराज महाराज के श्रीविग्रह को अर्पित किया गया.
Janmashtami: श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवासंस्थान की ओर से भाद्रपद कृष्ण सप्तमी की शाम साढ़े पांच बजे भव्य शोभायात्रा के बीच ठाकुरजी को पोषाक एवं श्रंगार अर्पित किया गया. ढोल, नगाड़े, मृदंग, झांझ, मजीरे, डमरू की ध्वनि के बीच मंगल परिधान पहने ठाकुर जी का दर्शन करने देश के कोने-कोने से भक्त आए. विभिन्न भागों से पधारे रसिक कलाकार भी इस शोभायात्रा में शामिल हुए. भक्तों ने शोभायात्रा में अलौकिक आनन्द प्राप्त किया.
दर्शन से भाव विभोग हजारों भक्तों ने इस दौरान नृत्य भी किया. श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव कपिल शर्मा एवं सदस्य गोपेष्वरनाथ चतुर्वेदी ने बताया कि शोभायात्रा सबसे पहले श्रीकेशवदेवजी के मंदिर में पहुंची. यहां केशवदेवजी को पोषाक श्रृंगार अर्पित करने के बाद मां योगमायाजी का पूजन किया गया. इसके बाद पोशाक और श्रृंगार अर्पित किया.
नाचते, झूमते और मस्ती में सराबोर रसिक भक्तजनों ने श्रीगर्भगृह मंदिर में पोषाक अर्पित की. सोमचंद्रिका पोषाक, रत्नजड़ित कण्डा, स्वर्ण और रजत के आभूषण, पूजापात्र आदि भागवत भवन में विराजमान श्री राधा कृष्ण युगल सरकार को अर्पित किये गये. वेदध्वनि, मंगलध्वनि के साथ मंत्रोच्चारण और ठाकुरजी को पोषाक श्रृंगार अर्पित किये जाने के बीच देश के विभिन्न भागों से पधारे कलाकार, मंगल वाद्ययंत्र वादक और भक्तजन उल्लास और मस्ती में हरिनाम संकीर्तन करते हुए नृत्य कर रहे थे.
पोषाक अर्पण के बाद श्रीकृमणजन्मस्थान सेवासंस्थान के सचिव कपिल शर्मा एवं सदस्य गोपेष्वरनाथ चतुर्वेदी ने 5251 गाय के घी के दीपों को परिसर में स्थित श्रीगिरिराज महाराज के श्रीविग्रह के सन्मुख ठाकुरजी को अर्पित किये. इस अवसर पर बहुत बड़ी संख्या में भक्तों ने दीपोत्सव में शामिल हुए.