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‘चीन से निपटने के लिए मोदी सरकार सरदार पटेल की राह पर’, बोले विदेश मंत्री एस जयशंकर

शुरुआत से ही नेहरू और सरदार पटेल के बीच चीन को कैसे जवाब दिया जाए इस मुद्दे पर बहुत ही अधिक मतभेद रहा है...मोदी सरकार चीन से निपटने में सरदार पटेल की धारा के अनुरूप काम कर रही है. जानें क्या बोले विदेश मंत्री एस जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन और पाकिस्तान सहित कनाडा के मुद्दे पर खुलकर बात की है. उन्होंने तीनों देशों को लेकर न्यूज एजेंसी एएनआई से बात की और सरकार के रुख के बारे में जानकारी दी. भारत-कनाडा संबंधों और खालिस्तानी मुद्दे पर इंटरव्यू के दौरान विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि मुख्य मुद्दा यह है कि कनाडा की राजनीति में खालिस्तानी ताकतों को बहुत जगह दी गई है. खालिस्तानी ताकतों को ऐसी गतिविधियों में शामिल होने की छूट दी गई है जिससे संबंधों को नुकसान पहुंच रहा है. उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि ये न भारत के हित में हैं और न कनाडा के हित में हैं.

चीन को लेकर क्या बोले विदेश मंत्री

चीन के साथ संबंधों पर किये गये सवाल पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि शुरुआत से ही नेहरू और सरदार पटेल के बीच चीन को कैसे जवाब दिया जाए इस मुद्दे पर बहुत ही अधिक मतभेद रहा है…मोदी सरकार चीन से निपटने में सरदार पटेल द्वारा शुरू की गई यथार्थवाद की धारा के अनुरूप काम में लगी हुई है. उन्होंने कहा कि हमने ऐसे रिश्ते बनाने की कोशिश की है जो आपसी संबंधों पर आधारित हों. जब तक उस पारस्परिकता को मान्यता नहीं दी जाती, इस रिश्ते का आगे बढ़ना मुश्किल होगा…

पाकिस्तान के मुद्दे पर क्या बोल विदेश मंत्री जयशंकर

पाकिस्तान के मुद्दे पर विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि पाकिस्तान लंबे समय से सीमा पार से आतंकवाद का इस्तेमाल भारत पर बातचीत के लिए दबाव बनाने के लिए कर रहा है. ऐसा नहीं है कि हम अपने पड़ोसी के साथ बातचीत नहीं करेंगे, लेकिन हम उन शर्तों के आधार पर बातचीत नहीं करेंगे जो पाकिस्तान की ओर से रखी गई है. बातचीत के पहले पाकिस्तान को आतंकवाद को गंभीरता से लेना चाहिए.


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‘भारत’ शब्द को लेकर चल रही बहस पर क्या बोले जयशंकर

‘भारत’ शब्द को लेकर चल रही बहस पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि अभी बहुत सक्रिय बहस चल रही है. कई मायनों में लोग उस बहस का इस्तेमाल अपने संकीर्ण उद्देश्यों के लिए करते हैं. ‘भारत’ शब्द का सिर्फ एक सांस्कृतिक सभ्यतागत अर्थ नहीं है… बल्कि यह आत्मविश्वास है, पहचान है. आगे उन्होंने कहा कि यह कोई संकीर्ण राजनीतिक बहस या ऐतिहासिक सांस्कृतिक बहस नहीं है. यह एक मानसिकता है. यदि हम वास्तव में अगले 25 वर्षों में ‘अमृत काल’ के लिए गंभीरता से तैयारी कर रहे हैं और ‘विकसित भारत’ की बात कर रहे हैं, तो यह तभी संभव हो सकता है जब आप ‘आत्मनिर्भर भारत’ बनें.

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