Jhansi Fire : उत्तर प्रदेश के झांसी स्थित मेडिकल कॉलेज में हुए हादसे को लेकर कई तरह की खबरें आ रहीं हैं. यहां नवजात गहन देखभाल यानी एनआईसीयू (NICU) में क्षमता से ज्यादा बच्चों को रखा गया था. इस संबंध इंडियन एक्सप्रेस ने खबर प्रकाशित की है. इसमें बताया गया है कि यहां केवल 18 बच्चों को रखने की व्यवस्था थी, लेकिन शुक्रवार रात को आग लगने के वक्त 49 बच्चे भर्ती थे. इनमें से दस की जान चली गई. मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. एन.एस. सेंगर ने बताया कि अन्य जगहों पर इलाज महंगा है. इस वजह से दूर दूर से लोग यहां सस्ता इलाज करवाने के लिए पहुंचते हैं. हम अपने पास आने वाले सभी बच्चों को इलाज मुहैया कराते हैं.
प्रिंसिपल ने बताया कि हादसा दुर्भाग्यपूर्ण है. 51 बेड का नया एनआईसीयू वार्ड बनाया गया है. अधिकारी एक महीने के अंदर इसे शिफ्ट करने की योजना बना रहे हैं. नये वार्ड में ज्यादा मरीजों का इलाज किया जा सकेगा. नए एनआईसीयू वाला बिल्डिंग उसी इमारत के बगल में स्थित है, जहां आग लगी थी. अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सचिन माहौर ने बताया कि इसका निर्माण करीब दो साल पहले शुरू हुआ था.
आग बुझाने की कोशिश में नर्स का पैर जल गया
सेंगर ने यह भी कहा कि वार्ड में लगाए गए सभी अग्निशामक यंत्र (आग बुझाने का यंत्र) चालू थे. आग बुझाने के लिए उनका इस्तेमाल भी किया गया. जून में एक मॉक ड्रिल की गई थी. हमने आग की घटनाओं से निपटने के लिए एक खास योजना बनाई थी. मेडिकल कॉलेज को तीन भागों में बांटा गया था. इनमें से प्रत्येक की देखरेख एक प्रोफेसर द्वारा की जाती थी. सभी स्टाफ को आग से निपटने के प्रोटोकॉल के बारे में ट्रेनिंग दी गई थी, जो इस घटना के दौरान मददगार साबित हुआ. उन्होंने बताया कि नवजात शिशुओं को बचाने और आग बुझाने की कोशिश कर रही मेघना नाम की नर्स का पैर जल गया.
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आग लगने की जांच तीन लेवल पर होगी : ब्रजेश पाठक
इस बीच, शुक्रवार रात को मरने वाले 10 नवजात शिशुओं का पोस्टमार्टम अगली सुबह किया गया. झांसी पहुंचे उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि सरकार पूरी जांच करवाएगी. जांच तीन लेवल पर की जाएगी. स्वास्थ्य विभाग, पुलिस और जिला प्रशासन को इसमें लगाया गया है. इसके अलावा मजिस्ट्रेट जांच भी की जाएगी. उन्होंने आश्वासन दिया कि जिम्मेदार पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.