Loading election data...

झारखंड में पांच कोयला खदानों सहित 37 खदानों की ई नीलामी उसके आदेशों के दायरे में रहेगी : सुप्रीम कोर्ट

Jharkhand coal block auction : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आज झारखंड की 9 कोयला खदानों की नीलामी (jharkhand coal block auction) पर अंतरिम रोक से इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड में कोयला खदानों की नीलामी के खिलाफ झारखंड सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए उपर्युक्त टिप्पणी की है.

By Agency | November 6, 2020 6:06 PM
an image

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को निर्देश दिया कि झारखंड में पांच कोयला खदानों सहित 37 खदानों की ई नीलामी उसके अंतिम आदेशों के दायरे में रहेगी. प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने केंद्र से कहा कि वह बोली लगाने वालों को सूचित करे कि किसी प्रकार का लाभ अस्थाई होगा और यह शीर्ष अदालत के अंतिम आदेश के दायरे में होगा.

केंद्र की ओर से अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि क्षेत्र में एक भी वृक्ष की कटाई नहीं होगी. न्यायालय ने चार नवंबर को यह आदेश देने का संकेत दिया था कि झारखंड में व्यावसायिक मकसद से पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील क्षेत्र के 50 किमी के दायरे में प्रस्तावित कोयला खदानों के आवंटन के लिए ई-नीलामी नहीं की जायेगी. शीर्ष अदालत ने कहा कि वह सिर्फ यह सुनिश्चित करना चाहती है कि ‘जंगलों को नष्ट नहीं किया जाये.”

न्यायालय ने कहा कि वह विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने पर विचार कर रहा है जो यह पता लगायेगी कि क्या झारखंड में प्रस्तावित खनन स्थल के पास का इलाका पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र है या नहीं. केंद्र की ओर से अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने शीर्ष अदालत की इस टिप्पणी का विरोध करते हुये कहा था कि इस तरह के पारिस्थितिकी दृष्टि से संवेदनशील जोन से खदान स्थल 20 से 70 किमी की दूरी पर हैं और अगर यही पैमाना लागू किया गया तो गोवा जैसे राज्यों में खनन असंभव हो जायेगा.

Also Read: सुप्रीम कोर्ट से रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्नब गोस्वामी को मिली बड़ी राहत, महाराष्ट्र सरकार को झटका

पीठ का कहना था , ‘‘जंगलों की ओर देखने का सारा मसला ही गलत है. समस्या यह है कि आप लकड़ी की आर्थिक कीमत आंकते हैं लेकिन आप वन की कोई आर्थिक कीमत नहीं मानते. हम देश के विकास के खिलाफ नहीं है लेकिन क्या आपको नहीं लगता कि पारिस्थितिकी दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र से 22 किमी की दूरी वनों से कितना नजदीक है.” वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई करते हुये पीठ ने कहा कि वह केंद्र के खिलाफ झारखंड के वाद में मुद्दे निर्धारित करने के लिए सूचीबद्ध करेगी और अगर पक्षकार सहमत हुये तो वह गवाहों से पूछताछ करेगी और इस दौरान ई-नीलामी पर रोक रहेगी तथा पारिस्थितिक दृष्टि से संवेदनशील इलाकों के बारे में विशेषज्ञ समिति से रिपोर्ट मंगायी जा सकती है.”

Posted By : Rajneesh Anand

Exit mobile version