कोरोना काल में कश्मीर को मात दे रहा झारखंड : रांची में झमाझम बारिश और ‘दो बूंद’ के लिए तरस रहे दिल्ली-एनसीआर में ‘लू’ का प्रकोप?
झारखंड में मानसून जून महीने के मध्य में ही दस्तक दे दिया है और उसके पहले बंगाल की खाड़ी से उठने वाले यास चक्रवाती तूफान के प्रभाव की वजह से घनघोर बारिश हो रही थी. यह बात दीगर है कि देश के उत्तर और उत्तर-पश्चिम भारत में अरब सागर से उठने वाले पश्चिमी विक्षोभ की वजह से बारिश होती है, लेकिन झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल की बात करें, तो यहां पश्चिमी विक्षोभ के अलावा बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर से उठने वाले चक्रवाती तूफान की वजह से भी बारिश का सामना करना पड़ता है.
नई दिल्ली/रांची : झारखंड की राजधानी रांची कोरोना महामारी के इस संकट के दौर में कश्मीर को भी मात दे रही है. इसका एकमात्र कारण यह है कि कोरोना वायरस महामारी की पहली और दूसरी लहर के दौरान संपूर्ण और राज्यस्तरीय लगे लॉकडाउन की वजह से पर्यावरण संतुलन में सुधार हुआ है. पर्यावरणीय सुधार की वजह से रांची अपने पुराने रूप में वापस लौटती दिखाई दे रही है. एक कहावत है कि वातावरण में जरा भी दबाव बनने की वजह से रांची बरस पड़ती है और यह इस कोरोना काल में चरितार्थ हो रही है.
वहीं, अगर आप देश की राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के इलाके जिसे एनसीआर यानी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र कहते हैं की बात करें, तो फिलहाल दिल्ली और उसके 200 किलोमीटर के दायरे के क्षेत्र के लोगों को मानसून के शुरुआती दौर ही में जेठ की दुपहरी वाली गर्मी का सामना करना पड़ रहा है. आलम यह कि दिल्ली-एनसीआर में लू का प्रकोप छाया हुआ है.
झारखंड में मानसून जून महीने के मध्य में ही दस्तक दे दिया है और उसके पहले बंगाल की खाड़ी से उठने वाले यास चक्रवाती तूफान के प्रभाव की वजह से घनघोर बारिश हो रही थी. यह बात दीगर है कि देश के उत्तर और उत्तर-पश्चिम भारत में अरब सागर से उठने वाले पश्चिमी विक्षोभ की वजह से बारिश होती है, लेकिन झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल की बात करें, तो यहां पश्चिमी विक्षोभ के अलावा बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर से उठने वाले चक्रवाती तूफान की वजह से भी बारिश का सामना करना पड़ता है.
इसके साथ ही, झारखंड की राजधानी रांची ही नहीं, बल्कि पूरा झारखंड राज्य ही भारत के पठारी इलाकों में से एक है. पठारी प्रदेश होने की वजह से झारखंड राज्य के अधिकांश जिलों में वातावरण का दबाव बनने में देर नहीं लगती. एटमोस्फेरिक प्रेशर या वातावरण के दबाव की वजह से न केवल रांची बल्कि इसके 24 जिलों में से तकरीबन 16 जिलों में हमेशा झमाझम बारिश होती है.
यह न केवल मानसून की बात है, बल्कि माघ के महीने में भी घनघोर बारिश का कारण बनता है. जहां तक दिल्ली-एनसीआर की बात है, तो दिल्ली और उसके निकटवर्ती इलाकों में फिलहाल मानसून ने दस्तक नहीं दी है और बुधवार को एनसीआर में गर्मी ने एक बार फिर शहरवासियों को परेशान किया है.
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के क्षेत्रीय पूर्वानुमान केंद्र के प्रमुख कुलदीप श्रीवास्तव ने बताया कि दिन में लू चलने और अधिकतम तापमान के 41 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया. बारिश की बूंदों के नदारद रहने के साथ ही दिल्ली में पहली बार इस गरमी के मौसम का भयंकर लू चली है और तापमान 43 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो इस साल का अभी तक का सर्वाधिक है.
Posted by : Vishwat Sen