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Corona vaccination में झारखंड ने रिकॉर्ड किया कायम, 28 जून को 10 लाख से अधिक लोगों को लगाया गया कोविड का टीका

झारखंड देश का पहला ऐसा राज्य है, जहां बच्चों के लिए कोविड वैक्सीन का परीक्षण किया जाएगा.

नई दिल्ली : देश के गरीब राज्यों में शामिल झारखंड ने कोरोना टीकाकरण अभियान में रिकॉर्ड कायम करने का काम किया है. इस राज्य में अभी तक 10 लाख से अधिक लोगों को कोरोना रोधी टीका लगाया जा चुका है. हालांकि, यह बात दीगर है कि झारखंड की 70 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्र में निवास करती है. बावजूद इसके इस राज्य ने केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से निर्धारित समय में अपने टास्क को पूरा करते हुए एक कीर्तिमान स्थापित करने का काम किया है.

बता दें कि किसी भी टीकाकरण अभियान को सफल बनाने के लिए दूरगामी इलाकों में जागरूकता अभियान और शिविर लगाने की जरूरत होती है, जिससे गलत सूचनाओं को प्रसारित होने से रोका जा सके. इन शिविर और अभियान के माध्यम से आसानी से लोगों तक वैक्सीन संबंधित प्रमाणित जानकारी पहुंचाई जाती है. झारखंड में कोरोना रोधी टीकाकरण के लिए जमीनी स्तर पर ऐसे कई प्रयास किए गए हैं.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, देश के दूसरे राज्यों की तुलना में झारखंड में कोरोना से संक्रमित होने वालों की संख्या बहुत ही कम देखी गई. आंकड़ों के अनुसार, झारखंड में बीते 28 जून तक कोरोना के कुल 66 लाख मरीज देखे गए. झारखंड के राज्य टीकाकरण अधिकारी डॉ अजीत के अनुसार, 16 जनवरी को जब देश में 60 साल से अधिक उम्र के लोगों के कोरोना रोधी टीका देने का अभियान शुरू किया गया था, उस समय भी वैक्सीन को लेकर झिझक नहीं थी. तब भी राज्य के लोगों में उत्साह देखा गया, लेकिन वैक्सीन लगने से कुछ लोगों के पॉजिटिव होने के बाद झिझक बढ़ गई.

डॉ अजीत ने बताया कि फिर कोरोना की दूसरी लहर के दौरान कई जगह तेजी से कोविड मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी होने लगी. ऐसे में, लोग वैक्सीन की प्रभावकारिता पर प्रश्न करने लगे कि वैक्सीन सुरक्षित है या नहीं? कहीं वैक्सीन से ही तो लोग बीमार नहीं पड़ रहे हैं. इस स्थिति में वैक्सीन को लेकर लोगों के मन में भ्रम और शंका बढ़ने लगी. खासकर, उन लोगों में जो कोविड की दूसरी डोज लेने वाले थे.

झारखंड के अधिकांश ग्रामीण क्षेत्र में वैक्सीन को लेकर झिझक और शंका थी. इस समस्या के समाधान के लिए झारखंड प्रसाशन ने प्रयास किए. ग्राउंड जीरो पर काम करने वाली आशा वर्कर, डिप्टी कलेक्टर और उनके सहयोगियों ने गांव में घर घर जाकर लोगों से बात करके वैक्सीन के प्रति प्रोत्साहित किया. उन्हें बताया गया कि कोरोना संक्रमण से ग्रसित होने से बेहतर है कि कोविड की वैक्सीन ली जाए.

झारखंड सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने दूरस्थ ग्रामीण इलाकों में जाकर लोगों को बताया कि वैक्सीन लगने के बाद मामूली साइड इफेक्ट होना स्वाभाविक है, जिससे नहीं डरना चाहिए. वैक्सीनेशन के लिए हर पंचायत में मेगा कैंप आयोजित किए गए. लगभग सभी पंचायतों के माध्यम से जरूरी सूचनाओं का प्रचार किया गया और बताया गया कि टीका लगाने के लिए किस वैक्सीनेशन सेंटर पर जाना है, जिससे लोगों को सेंटर घर से अधिक दूर न पड़े.

ग्रामीणों को यह बताया किया कि जरूरत पड़ने पर वैक्सीन हेजीटेंसी या झिझक को दूर करने के लिए सोशल मीडिया पर प्रमाणित जानकारी की सूचनाओं को प्रसारित किया गया. डॉ अजीत ने बताया कि एक महीने में ही हमें वैक्सीन के प्रति लोगों के व्यवहार में गजब का बदलाव देखने को मिला. उन्होंने कहा कि लोगों से व्यक्तिगत रूप से बात करने का सबसे अधिक असर हुआ, जिसकी सहायता से शंका और मिथकों को दूर किया गया.

उन्होंने कहा कि ऐसे गांव और पंचायतों में हमने इंटरपर्सनल या व्यक्तिगत रूप से बात करने के उपाय को अपनाया, जहां वैक्सीन के प्रति बहुत शंका थी. इसी का नतीजा है कि आज झारखंड में रोजाना एक लाख लोगों को कोरोना का टीका दिया जा रहा है. सरकार का प्रयास यह है कि 18 से 44 साल के आयुवर्ग के लोगों को सबसे पहले कोरोना रोधी टीका दे दिया जाए. यह समूह कामकाज के सिलसिले में घर से बाहर अधिक रहता है. इसलिए इस समूह से अन्य लोगों को कोविड का संक्रमण बढ़ने का खतरा लगातार बना रहता है.

उन्होंने कहा कि इसका दूसरा पहलू यह भी है कि एक बार यदि इस आयु समूह के लोगों को वैक्सीन दे दिया जाएगा, तो वह अपने परिजनों को भी वैक्सीन के लिए प्रोत्साहित कर सकता है. इससे घर के बुजुर्ग लोगों का भी आसानी से टीकाकरण किया जा सकता है.

28 जून को रिकॉर्ड किया गया कायम

28 जून 2021 को झारखंड में कुल 5,67,000 वैक्सीन की डोज दी जा चुकी है, 18 प्लस से अधिक आयु वर्ग के 56 लाख युवाओं को कोविड का वैक्सीन दिया जा चुका है. झारखंड में 10,28,000 लोगों का वैक्सीनेशन शेड्यूल पूरा किया जा चुका है, जिन्हें कोविड वैक्सीन की दोनों डोज दी जा चुकी है. इसके साथ ही, झारखंड देश का पहला ऐसा राज्य है, जहां बच्चों के लिए कोविड वैक्सीन का परीक्षण किया जाएगा.

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