गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवानी ने सोमवार को आरोप लगाया कि असम पुलिस द्वारा उनकी गिरफ्तारी प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले उन्हें “बर्बाद” करने के लिए “डिज़ाइन” की गई एक पूर्व नियोजित साजिश थी. मेवानी ने ‘56 इंच के सीने’ वाले बयान का इस्तेमाल करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर परोक्ष रूप से हमला करते हुए संवाददाताओं से कहा कि मेरी गिरफ्तारी 56 इंच की कायरतापूर्ण कार्रवाई है और इसने गुजरात के गौरव को कमजोर किया है.
असम की एक अदालत द्वारा जमानत दिये जाने के बाद मीडिया से बात करते हुए , मेवानी ने घोषणा की कि वह सड़कों पर उतरेंगे और एक जून को गुजरात बंद सुनिश्चित करेंगे, जिसमें 22 परीक्षा के पेपर लीक करने वालों, मुंद्रा बंदरगाह से ‘1.75 लाख करोड़’ रुपयों के नशीले पदार्थ की बरामदगी के लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की मांग, और ऊना में दलितों तथा अल्पसंख्यकों के खिलाफ दर्ज सभी मामलों को वापस लेने के लिए दबाव बनाया जाएगा.
मेवानी ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि असम पुलिस द्वारा मेरी गिरफ्तारी एक पूर्व नियोजित साजिश थी. यह एक विधायक के लिए प्रोटोकॉल और नियमों की घोर अवहेलना थी. उन्होंने कहा कि यह मेरा आरोप है कि यह प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा रची गई साजिश है. गुजरात चुनाव जल्द ही होने वाले हैं और यह मुझे बर्बाद करने के लिए किया जा रहा है. मुझे डर है कि इस बात की पूरी संभावना है कि अब तक उन्होंने मेरे जब्त किए गए कंप्यूटर पर कुछ लगा दिया हो.
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आगे मेवानी ने यह भी कहा कि वह उनके खिलाफ सभी मामलों पर अदालत में लड़ेंगे, लेकिन उन्होंने ऊना में दलितों के खिलाफ सभी मामलों और उनके वडगाम निर्वाचन क्षेत्र में अल्पसंख्यकों के खिलाफ सभी मामलों को वापस लेने की मांग की, जैसा कि पाटीदार समुदाय के सदस्यों के मामले में उनके आरक्षण समर्थक आंदोलन के दौरान किया गया था. उन्होंने यह भी मांग की कि पेपर लीक के मामलों की एक विशेष जांच दल द्वारा की जाए और मादक द्रव्यों की बरामदगी के मामले में मुंद्रा बंदरगाह के संचालक की जांच की जाए. उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं होने पर हमें सड़कों पर उतरना होगा और एक जून को गुजरात बंद करना पड़ेगा.