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J&K Election Results : उमर अब्दुल्ला को मिला निर्दलीय हिंदू विधायक प्यारे लाल का साथ, अलगाववादी हुए पस्त

J&K Election Results : अलगाववादी उम्मीदवारों की बड़ी हार जम्मू-कश्मीर में इस बार देखने को मिली है. नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन यहां सरकार बनाने जा रही है.

J&K Election Results : जम्मू-कश्मीर में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम सामने आ गए है. इस बार नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन ने कमाल किया और यहां सरकार बनाने के लिए आगे बढ़ रही है. इस बीच खबर है कि जम्मू-कश्मीर के निर्दलीय हिंदू विधायक प्यारे लाल उमर अब्दुल्ला की पार्टी में शामिल होगें. इंदरवाल विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी प्यारे लाल शर्मा ने 643 वोटों से जीत दर्ज की है. खास बात यह है कि दूसरे नंबर पर भी निर्दलीय प्रत्याशी गुलाम मोहम्मद सरूरी रहे. कांग्रेस और बीजेपी प्रत्याशियों की स्थिति दोनों ने मिलकर खराब कर दी. कांग्रेस के मोहम्मद जफरुल्लाह जहां तीसरे नंबर पर रहे तो वहीं बीजेपी के तारक हुसैन कीन चौथे नंबर पर रहे.

कश्मीर घाटी की बात करें तो यहां विधानसभा चुनाव के नतीजों में अलगाववादी उम्मीदवारों की बड़ी हार देखने को मिली है. इनमें इंजीनियर रशीद के नेतृत्व वाली अवामी इत्तेहाद पार्टी (एआइपी) और जमात-ए-इस्लामी के उम्मीदवार भी शामिल हैं. कुलगाम से जमात-ए-इस्लामी के ‘प्रॉक्सी’ उम्मीदवार सयार अहमद रेशी और लंगेट से चुनाव लड़ रहे शेख अब्दुल रशीद उर्फ इंजीनियर रशीद के भाई खुर्शीद अहमद शेख का प्रदर्शन उल्लेखनीय रहा.

कुलगाम में रेशी को हार का सामना करना पड़ा, वहीं खुर्शीद अहमद शेख ने लंगेट से जीत हासिल की. इंजीनियर रशीद की एआइपी ने 44 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे. हालांकि, एआइपी प्रवक्ता फिरदौस बाबा और कारोबारी शेख आशिक हुसैन सहित प्रमुख चेहरे चुनावी मुकाबले में नाकाम रहे और कई की जमानत भी जब्त हो गयी. जमात-ए-इस्लामी ने चार उम्मीदवार उतारे थे और चार अन्य का समर्थन किया था. अफजल गुरु के भाई ऐजाज अहमद गुरु को सोपोर सीट पर करारी हार का सामना करना पड़ा, उन्हें मात्र 129 वोट मिले, जो नोटा के लिए डाले गये 341 वोटों से काफी कम है. इंजीनियर रशीद के करीबी सहयोगी शेख आशिक हुसैन केवल 963 वोट मिले हैं, जबकि नोटा को 1,713 वोट मिले.

कांग्रेस का जम्मू क्षेत्र में रहा खराब प्रदर्शन, एक सीट जीती

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का अकेले का प्रदर्शन अब तक का सबसे खराब रहा, क्योंकि जम्मू क्षेत्र में उसके 29 उम्मीदवारों में से केवल एक ही जीत पाया है, जबकि दो कार्यकारी अध्यक्षों सहित इसके प्रमुख नेता चुनाव हार गये. नेकां के साथ चुनाव लड़ रही कांग्रेस ने 32 उम्मीदवार मैदान में उतारे, जिनमें से अधिकतर जम्मू क्षेत्र में हैं. जम्मू क्षेत्र में कांग्रेस केवल राजौरी सीट जीतने में सफल रही, जबकि 2014 में उसने कुल पांच सीट जीती थीं.

भाजपा का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन जम्मू क्षेत्र में दबदबा कायम

जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के हटाये जाने के बाद पहली बार हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा 29 सीट जीत कर दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी है. इस तरह उसने 2014 के चुनाव में मिली 25 सीट के अपने सर्वकालिक उच्चतम आंकड़े में सुधार किया है. हालांकि, पार्टी कश्मीर में किसी भी सीट पर जीत हासिल करने में विफल रही है. उसके लगभग दो दर्जन उम्मीदवारों में से अधिकांश की जमानत जब्त हो गयी है.

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नेकां-कांग्रेस के 48 विजयी उम्मीदवारों में केवल दो हिंदू

नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन ने जम्मू-कश्मीर में 48 सीटें जीती हैं. इसमें नेकां के टिकट पर केवल दो हिंदू चेहरे ही जीत पाये हैं. गठबंधन ने हिंदू और सिख समुदाय से कुल 30 उम्मीदवार उतारे थे. वहीं, जम्मू-कश्मीर में 29 सीटों पर जीत दर्ज करने वाली भाजपा के 28 हिंदू और एक सिख सदस्य हैं. दो पूर्व मंत्रियों सहित कोई भी मुस्लिम उम्मीदवार भाजपा के टिकट पर जीतने में कामयाब नहीं हो सका. नेकां के सुरिंदर चौधरी ने जम्मू-कश्मीर भाजपा अध्यक्ष रवींद्र रैना को नौशेरा से हराया. अर्जुन सिंह राजू रामबन से नेकां के टिकट पर चुनाव जीतने वाले दूसरे हिंदू चेहरे हैं.
(इनपुट पीटीआई)

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