दिल्ली : जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद को अपराध शाखा ने पूर्वोत्तर दिल्ली की हिंसा में उसकी कथित भूमिका मामले में गिरफ्तार किया है. उसे तीन दिन की हिरासत में भेज दिया गया है. मालूम हो कि उमर खालिद को 13 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था. उसके बाद छात्र नेता को पुलिस द्वारा हिरासत की मांग नहीं किये जाने पर अदालत 22 अक्तूबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. मालूम हो कि गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने 14 सितंबर को हिरासत में पूछताछ की थी.
Former JNU student Umar Khalid (in file pic) has been arrested by the Crime Branch in connection with his alleged role in the violence of Northeast Delhi. He has been remanded to 3-day custody. pic.twitter.com/mIbum9sgkS
— ANI (@ANI) October 1, 2020
उमर खालिद ने अदालत के समक्ष दावा किया था कि उन्होंने पुलिस हिरासत के दौरान किसी भी तरह के दस्तावेज पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं. उन्होंने अदालत से कहा, ”दस दिन की पुलिस हिरासत के दौरान मैंने किसी भी तरह के दस्तावेज या बयान पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं.”
मालूम हो कि पुलिस ने प्राथमिकी में दावा किया है कि सांप्रदायिक हिंसा ‘पूर्व-नियोजित साजिश’ थी, जिसे कथित रूप से खालिद और दो अन्य लोगों ने अंजाम दिया था. खालिद के खिलाफ राजद्रोह, हत्या, हत्या का प्रयास, धर्म के आधार पर विभिन्न समुदायों के बीच द्वेष पैदा करने और दंगा भड़काने के आरोपों के तहत मामला दर्ज किया गया है.
प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि खालिद ने कथित रूप से दो अलग-अलग जगहों पर भड़काऊ भाषण दिये और लोगों से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की यात्रा के दौरान सड़कों पर उतरने और उन्हें जाम करने की अपील की, ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह दुष्प्रचार किया जा सके कि भारत में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार किया जा रहा है.
प्राथमिकी के अनुसार, षड़यंत्र को अंजाम तक पहुंचाने के लिए कई घरों में हथियार, पेट्रोल बम, तेजाब की बोतलें और पत्थर जमा किये गये. साथ ही 23 फरवरी को महिलाओं और बच्चों को जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के नीचे सड़क बंद करने के लिए कहा गया, ताकि आसपास रह रहे लोगों के बीच तनाव उत्पन्न किया जा सके.
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 24 फरवरी को नागरिकता कानून के समर्थकों और विरोधियों के बीच हिंसा भड़कने के बाद सांप्रदायिक झड़पें शुरू हो गयी थीं. इस दौरान कम-से-कम 53 लोगों की मौत हो गयी थी और लगभग 200 लोग घायल हो गये थे.
नोम चोम्स्की, मीरा नायर, सलमान रशदी और पी साईनाथ जैसी शिक्षा, फिल्म जगत और लेखन से जुड़ी करीब 200 से अधिक जानी मानी प्रबुद्ध हस्तियों ने केंद्र सरकार से उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगों के मामले में गिरफ्तार उमर खालिद की रिहाई की मांग 24 सितंबर को की थी. इस संयुक्त बयान जारी करनेवालों में अमेरिकी भाषाविद्, दार्शनिक और इतिहासकार नोम चोम्स्की, फिल्म निर्माता मीरा नायर, अदाकारा रत्ना पाठक शाह, लेखक अमिताव घोष, सलमान रश्दी, अरुंधति रॉय और पत्रकार पी साईनाथ भी शामिल हैं.
बयान में कहा गया था कि, ”हम भारत सरकार से उमर खालिद और उन सभी को रिहा करने की मांग करते हैं, जिन्हें सीएए-एनआरसी का विरोध करने के कारण गलत और अनुचित तरीके से फंसाया गया है.” साथ ही कहा गया था कि, ”यह सुनिश्चित किया जाये कि दिल्ली पुलिस संविधान के अनुरूप अपने द्वारा ली गयी शपथ का पालन करते हुए दिल्ली दंगों की निष्पक्ष जांच करे.”