जोशीमठ संकट पर सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई से इनकार,जानें कोर्ट ने क्या कहा
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के जोशीमठ में भू-धंसाव संकट को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के लिए अदालती हस्तक्षेप के अनुरोध वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है.
Joshimath land subsidence : जोशीमठ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने सोमवार को जोशीमठ के लोगों को मरम्मत कार्य और तत्काल राहत प्रदान करने के लिए केंद्र को निर्देश देने के लिए तत्काल हस्तक्षेप की मांग करने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के लिए याचिका के साथ उत्तराखंड हाई कोर्ट जाने की अनुमति दी है.
Joshimath land subsidence | SC refuses to entertain a plea seeking immediate intervention by it to direct Centre to assist in reparation work & providing urgent relief to people of Joshimath
SC permits petitioner to approach U'khand HC with plea to declare it a national disaster pic.twitter.com/xjKcb2NCx6
— ANI (@ANI) January 16, 2023
हाई कोर्ट का रुख करने को सुप्रीम कोर्ट ने कहा
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के जोशीमठ में भू-धंसाव संकट को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के लिए अदालती हस्तक्षेप के अनुरोध वाली याचिका पर सुनवाई करने से आज इनकार कर दिया है. जोशीमठ संकट पर शीर्ष कोर्ट ने प्रभावित लोगों को राहत, पुनर्वास के लिए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद से उत्तराखंड हाई कोर्ट का रुख करने को कहा है.
प्रधान न्यायाधीश ने क्या कहा
प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा एवं जे. बी. पारदीवाला की पीठ ने याचिकाकर्ता स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को अपनी याचिका के साथ उत्तराखंड हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने को कहा है. आपको बता दें कि बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब जैसे प्रसिद्ध तीर्थस्थानों एवं अंतरराष्ट्रीय स्कीइंग केंद्र औली का प्रवेश द्वार जोशीमठ भू-धंसान के कारण एक बड़े संकट का सामना कर रहा है जिसने चिंता बढ़ा दी है.
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याचिकाकर्ता ने क्या कहा
याचिकाकर्ता की बात करें तो उसने दलील दी है कि बड़े पैमाने पर औद्योगिकीकरण के कारण भू-धंसाव हुआ है और इससे प्रभावित लोगों को तत्काल वित्तीय सहायता और मुआवजा देने का काम किया जाए. याचिका में कहा गया है कि मानव जीवन और उनके पारिस्थितिकी तंत्र की कीमत पर किसी विकास की आवश्यकता नहीं है और अगर ऐसी कुछ चीजें होती भी हैं, तो यह राज्य एवं केंद्र सरकार का कर्तव्य है कि इसे तुरंत रोका जाए.
भाषा इनपुट के साथ