नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड रविवार को भाजपा मुख्यालय पहुंचे और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा व केंद्रीय मंत्री एस जयशंकर से रविवार को मुलाकात की. नड्डा और प्रचंड की यह मुलाकात केंद्र की सत्ताधारी पार्टी द्वारा चलाए जा रही भाजपा को जानो पहल का हिस्सा है. इस दौरान दोनों दलों के बीच संवाद बढ़ाने के रास्तों को लेकर विमर्श करेंगे. बता दें कि प्रचंड भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के निमंत्रण पर भारत के दौरे पर हैं.
Delhi | Pushpa Kamal Dahal Prachanda, chairman, Communist Party of Nepal (Maoist Centre) and former Nepal PM meets BJP National President JP Nadda at BJP headquarters
External Affairs Minister Dr S Jaishankar also present pic.twitter.com/czpJbP2aYK
— ANI (@ANI) July 17, 2022
भाजपा को जानो पहल के तहत पिछले महीने नड्डा ने वियतनाम की कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ सदस्य न्गूयेन वैन नेन से संवाद किया था. इस दौरान उन्होंने उन्हें अपनी पार्टी के इतिहास और राष्ट्र निर्माण में उसके योगदान से अवगत कराया. नेन वियतनाम की कम्युनिस्ट पार्टी की पोलित ब्यूरो का सदस्य होने के साथ ही होची मिन्ह शहर में पार्टी समिति के सचिव भी हैं.
इस पहल के तहत नड्डा नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा, सिंगापुर के विदेश मंत्री विवियन बालकृष्णन के अलावा अब तक यूरोपीय संघ सहित विभिन्न देशों के राजनयिकों से बातचीत कर चुके हैं. नेपाल लौटने से पहले प्रचंड रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात कर सकते हैं.
इससे पहले, शनिवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने प्रचंड से मुलाकात की थी. एस जयशंकर ने ट्वीट करते हुए कहा कि, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा जी के आमंत्रण पर भारत यात्रा पर आए प्रचंड का स्वागत करते हुए खुशी हो रही है. आर्थिक सहयोग पर ध्यान देने के साथ हमारे संबंधों को मजबूत करने पर एक उपयोगी चर्चा हुई. जयशंकर ने कहा कि पड़ोसी प्रथम की नीति को दर्शाते हुए भारत प्रगति और समृद्धि की तलाश में नेपाल का एक अटल भागीदार बना रहेगा. नेपाल समग्र सामरिक हितों के संदर्भ में भारत के लिए महत्वपूर्ण है और दोनों देशों के नेताओं ने अक्सर सदियों पुराने रोटी-बेटी के संबंधों का जिक्र किया है.
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नेपाल पांच भारतीय राज्यों सिक्किम, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के साथ 1,850 किमी से अधिक की सीमा साझा करता है. स्थलरुद्ध देश नेपाल माल और सेवाओं के परिवहन के लिए भारत पर बहुत अधिक निर्भर करता है. वर्ष 1950 की शांति और मित्रता की भारत-नेपाल संधि दोनों देशों के बीच विशेष संबंधों का आधार है.