भारत के चीफ जस्टिस (CJI) डी. वाई. चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस पद से रिटायर हुए जस्टिस एम आर शाह की तारीफ करते हुए उन्हें टाइगर शाह की संज्ञा देते हुए कहा कि उनके व्यावहारिक ज्ञान और उत्कृष्ट सलाह से कॉलेजियम को निर्णय लेने में काफी मदद मिली. सीजेआई ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) की ओर से आयोजित एक विदाई समारोह में जस्टिस शाह के सु्ग्राही और खुले स्वभाव की सराहना की और कहा कि उन्होंने प्रौद्योगिकी को जल्दी से अपना लिया, जिसके कारण संविधान पीठ में पूरी तरह कागज-रहित सुनवाई हो सकी. चीफ जस्टिस ने कहा कि वह जस्टिस शाह को उनके साहस और जुझारूपन के लिए टाइगर शाह कहते हैं.
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा- जस्टिस शाह का 9 नवंबर, 2022 को कॉलेजियम में प्रवेश उसी दिन चीफ जस्टिस के रूप में मेरी अपनी नियुक्ति के साथ हुआ था…. वह कॉलेजियम में मेरे लिए व्यावहारिक ज्ञान से भरे एक अडिग सहयोगी रहे हैं. उनके पास उत्कृष्ट सलाह होते थे. जब हमने बहुत कम समय में पहली सात नियुक्तियां कीं, तो इससे हमें बहुत मदद मिली. सीजेआई ने पाकिस्तानी कवि ओबैदुल्ला अलीम को भी उद्धृत किया और कहा- आंख से दूर सही दिल से कहां जाएगा, जाने वाले तू हमें याद बहुत आएगा.
भावुक जस्टिस शाह ने विदाई समारोह के लिए बार को धन्यवाद देते हुए कहा कि उन्होंने बिना किसी भय, पक्षपात या दुर्भावना के अपने कर्तव्यों का पालन किया है. उन्होंने कहा- यह हम सभी का कर्तव्य है कि समय पर न्याय मिले. सभी से अनुरोध है कि (मामलों को) स्थगित करने की संस्कृति से बाहर निकलें और कोई अनावश्यक स्थगन न लें. युवा वकीलों को मेरी एक और सलाह है कि वे मामले के विशेष उल्लेख या स्थगन का सहारा लेकर वकालत पेशा न करें, बल्कि अपने आप को (मामले के लिए) तैयार करें. जस्टिस शाह ने कहा कि बिदाई हमेशा दर्दनाक होती है. उन्होंने कहा- मैंने अपनी पारी बहुत अच्छी खेली है. मैंने हमेशा अपने विवेक का पालन किया है. मैं हमेशा ईश्वर और कर्म में विश्वास करता हूं. मैंने कभी किसी चीज की उम्मीद नहीं की है.. मैंने हमेशा गीता का पालन किया है.
जस्टिस शाह ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को उद्धृत किया और कहा- जो कल थे, वो आज नहीं हैं. जो आज हैं वो कल नहीं होंगे. होने, न होने का क्रम इसी तरह चलता रहेगा. हम हैं, हम रहेंगे, ये भ्रम भी सदा चलता रहेगा. एससीबीए के अध्यक्ष एवं सीनियर एडवोकेट विकास सिंह ने कहा कि जस्टिस शाह बेहद प्रेरणादायक थे, खासकर युवा और पहली पीढ़ी के वकीलों के लिए. इस अवसर पर अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि ने भी अपने उद्गार प्रकट किये.