Sedition Law in India: विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) ऋतुराज अवस्थी ने राजद्रोह पर कानून को बरकरार रखने की सिफारिश का बचाव करते हुए कहा कि भारत की एकता और अखंडता की रक्षा के लिए यह जरूरी है. ऋतुराज अवस्थी ने न्यूज एजेंसी पीटीआई-भाषा को बताया कि राजद्रोह कानून के दुरुपयोग को रोकने के लिए पर्याप्त प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपाय प्रस्तावित है.
विधि आयोग के अध्यक्ष ऋतुराज अवस्थी ने आगे कहा कि कश्मीर से केरल, पंजाब से पूर्वोत्तर तक के हालात के कारण राजद्रोह कानून को बरकरार रखना जरूरी हो गया है. पिछले साल मई में जारी सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद फिलहाल इसको निलंबित किया गया है. ऋतुराज अवस्थी ने कहा कि गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम और राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम जैसे विशेष कानून विभिन्न क्षेत्रों में लागू होते हैं, लेकिन राजद्रोह के अपराध को कवर नहीं करते हैं. इसी कारण राजद्रोह पर विशिष्ट कानून भी होना चाहिए. उन्होंने कहा, राजद्रोह कानून औपनिवेशिक विरासत होने के कारण इसे निरस्त करने का वैध आधार नहीं है और अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी सहित कई देशों के पास अपने ऐसे कानून हैं.
उल्लेखनीय है कि पिछले महीने सरकार को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में न्यायमूर्ति अवस्थी की अध्यक्षता वाले 22वें विधि आयोग ने इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए सुरक्षा उपायों के साथ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 124ए को बनाए रखने का समर्थन किया था. इस सिफारिश से राजनीतिक हंगामा मच गया. कई विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि यह अगले साल लोकसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ दल के खिलाफ असहमति और आवाज को दबाने के लिए इसे बरकरार रखने की सिफारिश की जा रही है. वहीं, सरकार ने कहा कि वह सभी हितधारकों से परामर्श करने के बाद विधि आयोग की रिपोर्ट पर तर्कसंगत निर्णय लेगी. जबकि, कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि सरकार राजद्रोह कानून को और अधिक सख्त बनाना चाहती है.