kailash mansarovar yatra: कैलाश मानसरोवर यात्रा की चाह रखने वाले लोगों के लिएअच्छी खबर है. सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने उत्तराखंड में धारचूला-लिपूलेख मार्ग का निर्माण किया है, जिससे यात्रा में समय भी कम लगेगा, क्योंकि लोगों को दुर्गम रास्तों पर सफर नहीं करना पड़ेगा. उत्तराखंड के पारंपरिक लिपुलेख सीमा तक की सड़क बन जाने के बाद तीर्थयात्री सड़क मार्ग से कैलाश मानसरोवर के दर्शन करके एक हफ्ते से भी कम समय में भारत लौट सकेंगे. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को पिथौरागढ़ धारचूला से लिपुलेख को जोड़ने वाली सड़क का वीडियो कांफ्रेंस के जरिए उद्घाटन किया.
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इस अवसर पर उन्होंने कहा कि कैलाश-मानसरोवर जाने वाले यात्री अब तीन सप्ताह के स्थान पर एक सप्ताह मे अपनी यात्रा पूरी कर सकेंगे. इसके साथ ही रणनीतिक और सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण तथा चीन की सीमा से सटे 17,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित लिपूलेख दर्रा इस सड़क के माध्यम से अब उत्तराखंड के धारचूला से जुड़ गया है. कैलाश मानसरोवर लिपूलेख दर्रे से करीब 90 किलोमीटर की दूरी पर है. इस रोड का काम कई सालों से चल रहा था लेकिन ऊंचे पहाड़ और मुश्किल हालात से इसमें काफी दिक्कतें आ रही थी.
अभी तक कैलाश मानसरोवर जाने में 3 हफ्ते से ज्यादा का वक्त लगता है जबकि लिपुलेख के रास्ते अब मात्र 90 किलोमीटर की सड़क यात्रा कर कैलाश मानसरोवर पहुंचा जा सकेगा. बताया जा रहा है कि पहाड़ काटने के लिए ऑस्ट्रेलिया से विशेष अत्याधुनिक मशीनें मंगवाई गई थी. इन मशीनों की मदद से करीब तीन माह के अंदर 35 किलोमीटर से अधिक दूरी तक पहाड़ काटा जा सका.
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रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट किया, मानसरोवर यात्रा के लिए आज एक लिंक रोड का उद्घाटन करके खुशी हुई. बीआरओ ने धारचूला से लिपूलेख (चीन बॉर्डर) को जोड़ने की उपलब्धि हासिल की है, इसे कैलाश मानसरोवर यात्रा रूट के नाम से जाना जाता है. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए वाहनों के एक जत्थे को पिथौरागढ़ से गुंजी के लिए रवाना किया. उन्होंने सड़क निर्माण में लगे बीआरओ इंजिनियर्स का धन्यवाद किया. उन्होंने कहा कि इंजिनियर्स की मेहनत ने इस उपलब्धि को संभव कर दिखाया है.
Delighted to inaugurate the Link Road to Mansarovar Yatra today. The BRO achieved road connectivity from Dharchula to Lipulekh (China Border) known as Kailash-Mansarovar Yatra Route. Also flagged off a convoy of vehicles from Pithoragarh to Gunji through video conferencing. pic.twitter.com/S8yNeansJW
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) May 8, 2020
बीआरओ की टीम ने बीते सालों में बेहतरीन काम किया है और सीमावर्ती इलाकों को जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. बता दें कि पिथौरागढ़ से कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए लिपुलेख सीमा तक सड़क बनाने का काम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजनाओं में शामिल था. पीएमओ के अधिकारी खुद इस परियोजना पर नजर रख रहे थे.
समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक, परियोजना ‘हीरक’ के मुख्य अभियंता विमल गोस्वामी ने कल बताया था कि सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इस मार्ग के बन जाने से तवाघाट के पास मांगती शिविर से शुरू होकर व्यास घाटी में गुंजी और सीमा पर भारतीय भूभाग में स्थित भारतीय सुरक्षा चौकियों तक के 80 किलोमीटर से अधिक के दुर्गम हिमालयी क्षेत्र तक पहुंचना सुलभ हो गया है. गोस्वामी ने बताया कि बूंदी से आगे तक का 51 किलोमीटर लंबा और तवाघाट से लेकर लखनपुर तक का 23 किलोमीटर का हिस्सा बहुत पहले ही निर्मित हो चुका था लेकिन लखनपुर और बूंदी के बीच का हिस्सा बहुत कठिन था और उस चुनौती को पूरा करने में काफी समय लग गया.