Loading election data...

पहले भड़काया अब शांतिदूत बन रहा चीन, कालापानी को बताया भारत और नेपाल के बीच का मुद्दा

Kalapani the issue between India and Nepal भारत और नेपाल के बीच कालापानी को लेकर लगातार विवाद गहराता जा रहा है. भारत के खिलाफ नेपाल को भड़काने में चीन का बड़ा हाथ है. दोनों देशों के बीच विवाद को हवा देकर अब 'ड्रैगन' शांतिदूत बनने का ढोंग कर रहा है. चीन ने कालापानी को भारत और नेपाल का आपसी मुद्दा बताया.

By Agency | May 19, 2020 7:53 PM

नयी दिल्‍ली : भारत और नेपाल के बीच कालापानी को लेकर लगातार विवाद गहराता जा रहा है. भारत के खिलाफ नेपाल को भड़काने में चीन का बड़ा हाथ है. दोनों देशों के बीच विवाद को हवा देकर अब ‘ड्रैगन’ शांतिदूत बनने का ढोंग कर रहा है. चीन ने कालापानी को भारत और नेपाल का आपसी मुद्दा बताया.

चीन ने मंगलवार को कहा कि कालापानी सीमा का मुद्दा भारत और नेपाल के बीच का है और उम्मीद जतायी कि दोनों पड़ोसी देश एकतरफा कदम उठाने से परहेज करेंगे और मैत्रीपूर्ण ढंग से अपने विवाद को सुलझाएंगे.

Also Read: बंगाल में भारी तबाही मचा सकता है ‘अम्‍फान’, 3 लाख लोगों को पहुंचाया गया सुरक्षित स्थान पर, आईला और बुलबुल से भी ज्यादा खतरनाक

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजिआन ने संवाददाता सम्मेलन में यह टिप्पणी की. वह सीमा को लेकर भारत-नेपाल के बीच गतिरोध और भारतीय सेना प्रमुख एम एम नरवणे की टिप्पणी को लेकर पूछे गए सवाल पर जवाब दे रहे थे. नरवणे ने कहा था कि नेपाल किसी अन्य के इशारे पर भारत द्वारा नवनिर्मित सड़क पर आपत्ति प्रकट कर रहा है.

लिजिआन ने कहा, कालापानी नेपाल और भारत के बीच का मुद्दा है और हमें उम्मीद है कि दोनों देश मैत्रीपूर्ण ढंग से अपने विवाद को सुलझाएंगे. लिजिआन ने यह भी कहा कि नेपाल और भारत को स्थिति को जटिल बनाने वाले एकतरफा कदम उठाने से परहेज करना चाहिए.

Also Read: COVID-19 : भारत के लिए राहत की खबर, 38.39% लोग कोरोना से हो रहे ठीक, एक लाख आबादी में 0.2 की मौत

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल में उत्तराखंड में चीन के साथ लगी सीमा के पास रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 80 किलोमीटर सड़क को खोला था. नेपाल ने सड़क को खोले जाने पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि एकतरफा कदम सीमाई मुद्दों को सुलझाने के लिए दोनों देशों के बीच बनी सहमति के खिलाफ है.

इधर नेपाल के कैबिनेट ने एक नया राजनीतिक मानत्रिच स्वीकार किया है जिसमें लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को नेपाली क्षेत्र में दर्शाया गया है. विदेश मंत्री प्रदीप कुमार गयावली ने इस कदम की घोषणा से हफ्तों पहले कहा था कि कूटनीतिक पहलों के जरिए भारत के साथ सीमा विवाद को सुलझाने के प्रयास जारी हैं.

Also Read: COVID-19 की वैक्सीन टेस्ट में पॉजिटिव रिजल्ट की खबर से उछला बाजार, सेंसेक्स में 167 अंकों की बढ़त

नेपाल की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के सांसदों ने कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख को नेपाल की सीमा में लौटाने की मांग करते हुए संसद में विशेष प्रस्ताव भी रखा था. लिपुलेख दर्रा नेपाल और भारत के बीच विवादित सीमा, कालापानी के पास एक दूरस्थ पश्चिमी स्थान है.

भारत और नेपाल दोनों कालापानी को अपनी सीमा का अभिन्न हिस्सा बताते हैं. भारत उसे उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले का हिस्सा बताता है और नेपाल इसे धारचुला जिले का हिस्सा बताता है. गयावली ने कहा कि भूमि प्रबंधन मंत्रालय जल्द ही नेपाल का आधिकारिक मानचित्र सार्वजनिक करेगा.

Also Read: चीनी वैज्ञानिक का दावा, वैक्सीन नहीं इस दवा से ही खत्म हो जाएगा कोरोना

उन्होंने सोमवार को ट्विटर पर कहा, मंत्री परिषद ने नेपाल के सात प्रांतों, 77 जिलों और लिमपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी समेत 753 स्थानीय स्तर के प्रशासनिक संभागों में नेपाल का मानचित्र प्रकाशित किया जाने का फैसला लिया है.

Next Article

Exit mobile version