भोपाल : मध्यप्रदेश की सियासी उठापटक के बीच सबकी नजरें विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति पर टिकी हैं. कांग्रेस के 22 विधायकों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, जिसमें से 19 विधायकों का इस्तीफा अध्यक्ष के पास पहुंचा दिया गया है.
तमाम घटनाओं के बीच कमलनाथ आश्वस्त हैं कि उनकी सरकार नहीं गिरेगी. वे पूरे घटनाक्रम पर धैर्य बनाये हुए हैं. वहीं दिग्विजय सिंह ने उनका साथ दिया है और कहा है कि फ्लोर टेस्ट में चौंकाने वाले परिणाम सामने आयेंगे. ऐसे में सबकी नजरें स्पीकर पर टिकीं हैं.
स्पीकर का अधिकार : कांग्रेस सरकार का सारा दारोमदार स्पीकर के अधिकार पर टिका है. संविधान के अनुच्छेद 10 के अनुसार स्पीकर को अधिकार है कि विधायकों के इस्तीफे पर पूरी जांच के बाद फैसला ले. स्पीकर इस्तीफे के वक्त इस बात की अच्छी तरह जांच ले कि इस्तीफा देने वाले विधायक किसी डर और लालच में तो नहीं फंसे है. एमपी में विधायकों ने अपना इस्तीफा खुद से नहीं सौंपा है, इसलिए माना जा रहा है कि स्पीकर इसके कारण समय ले सकते हैं.
विधायक को बंधक बनाने के खिलाफ स्पीकर के सामने शिकायत दर्ज करायेगी कांग्रेस : कांग्रेस पार्टी स्पीकर के पास यह शिकायत लेकर जायेगी कि उसके विधायकों को बंधक बनाया गया. कांग्रेस का कहना है कि सभी विधायकों को बंधक बनाकर रखा गया है, इसलिए इन विधायकों से एक-एक कर पूछताछ की जाये. साथ ही, कांग्रेस स्पीकर से मांग करेगी कि उन विधायकों को सुरक्षित लाने के लिए प्रयास करें.
सिंधिया समर्थक विधायक बागी ‘ कमलनाथ सरकार के लिए सबसे राहत की खबर है कि सिंधिया समर्थक कई विधायकों ने भाजपा में शामिल होने से मना कर दिया है. रिपोर्ट के अनुसार तकरीबन 12 विधायकों ने भाजपा में शामिल होने से इनकार कर दिया है. सरकार को उम्मीद है कि अभी और विधायक सिंधिया को छोड़ेंगे और हमारे पास आयेंगे. अगर ऐसा होता है तो फ्लोर टेस्ट तक सरकार को कोई खतरा नहीं है.
बजट पास होने तक– सरकार के पास 17 मार्च तक बहुमत जुटाना अनिवार्य है. भाजपा भी बजट सत्र के इंतजार में है. 17 मार्च को राज्य का बजट पेश किया जायेगा, जिसके बाद बजट पर वोटिंग होगी और अगर बजट वोटिंग से पास नहीं हो पाया तो, सरकार खुद गिर जायेगी. भाजपा इसी रणनीति पर काम कर रही है.