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हाई स्पीड और सिग्नलिंग सिस्टम में खराबी, मालगाड़ी को थी रेड लाइट पार करने की इजाजत, फिर कैसे हो गया इतना बड़ा हादसा?

Train Accident: कंचनजंगा एक्सप्रेस दुर्घटना को लेकर रेलवे बोर्ड ने सोमवार देर रात एक बयान जारी करके कहा कि में यह घटना आटोमेटिक सिग्नलिंग प्रणाली में खराबी के कारण हुई है. रेलवे बोर्ड ने कहा कि मालगाड़ी की स्पीड भी काफी ज्यादा थी.

Train Accident: पश्चिम बंगाल में कंचनजंगा एक्सप्रेस दुर्घटना को लेकर रेलवे बोर्ड की ओर से बड़ा बयान सामने आया है. रेलवे बोर्ड ने सोमवार देर रात को कहा कि पश्चिम बंगाल में कंचनजंगा एक्सप्रेस दुर्घटना में प्रथम दृष्टया यह लगता है कि दुर्घटना मालगाड़ी के अधिक स्पीड के कारण हुआ है. इसके बाद दुर्घटना के लिए खराब स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली भी है. इस कारण मालगाड़ी ने कंचनजंगा एक्सप्रेस को टक्कर मारी. गौरतलब है कि सोमवार को दार्जिलिंग में रानीपतरा रेलवे स्टेशन चत्तर हाट जंक्शन मार्ग पर हुई दुर्घटना में सात यात्रियों और दो रेलवे कर्मचारियों की मौत हो गई. हादसे में 41 लोग घायल भी हुए हैं. रेलवे बोर्ड ने कहा कि सिग्नलिंग प्रणाली के कारण मालगाड़ी के चालक को आरएनआई और सीएटी के बीच सभी रेड सिग्नल को पार करने की अनुमति दी गई थी. लेकिन मालगाड़ी की गति बहुत ज्यादा थी. जो हादसे का मुख्य कारण था.

काफी स्पीड से चल रही थी मालगाड़ी
रेलवे बोर्ड ने कहा कि मालगाड़ी का चालक काफी तेज गति से मालगाड़ी चला रहा था और इस कारण यह आरएनआई और सीएटी के बीच कंचनजंगा एक्सप्रेस से टकरा गई. बोर्ड ने उन खबरों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि दुर्घटना में मारे गए चालक को रानीपतरा के स्टेशन मास्टर द्वारा टीए 912 नामक एक लिखित अनुमति दी गई थी जिसमें उसे सभी लाल सिग्नल पार करने का अधिकार दिया गया था. बोर्ड ने कहा कि कंचनजंगा एक्सप्रेस के चालक ने स्वचालित सिग्नल प्रणाली में खराबी के दौरान अपनाए जाने वाले मानदंडों का पालन किया था. सभी लाल सिग्नल पर एक मिनट तक रुका और 10 किमी प्रति घंटे की गति से आगे बढ़ा, लेकिन मालगाड़ी के चालक ने मानदंडों की अनदेखी की जिससे यात्री ट्रेन को पीछे से टक्कर मार दी.

खराब थी स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली
इससे पहले एक सूत्र ने बताया कि आरएनआई और सीएटी के बीच स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली सोमवार सुबह 5.50 बजे से खराब थी. ट्रेन नंबर 13174 (सियालदह-कंचनजंगा एक्सप्रेस) सुबह 8:27 बजे रंगापानी स्टेशन से रवाना हुई और आरएनआई और सीएटी के बीच रुकी रही. ट्रेन के रुकने का कारण पता नहीं है. रेलवे के एक अन्य अधिकारी के अनुसार जब स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली विफल हो जाती है, तो स्टेशन मास्टर टीए 912 नामक एक लिखित अधिकार पत्र जारी करता है, जो चालक को गड़बड़ी के कारण सेक्शन में सभी लाल सिग्नल को पार करने के लिए अधिकृत करता है. सूत्र ने बताया कि रानीपतरा के स्टेशन मास्टर ने ट्रेन नंबर 13174 (सियालदह-कंचनजंगा एक्सप्रेस) को टीए 912 जारी किया था. उन्होंने बताया कि लगभग उसी समय एक मालगाड़ी, जीएफसीजे, सुबह 8:42 बजे रंगापानी से रवाना हुई और 8:55 बजे कंचनजंगा एक्सप्रेस को पीछे से टक्कर मार दी, जिसके परिणामस्वरूप गार्ड का कोच, दो पार्सल कोच और एक सामान्य सीटिंग कोच (यात्री ट्रेन का) पटरी से उतर गया.

घटना के बाद रेलवे बोर्ड की अध्यक्ष जया वर्मा सिन्हा ने कहा कि न्यू जलपाईगुड़ी के निकट टक्कर संभवतः इसलिए हुई क्योंकि मालगाड़ी ने सिग्नल की अनदेखी की और अगरतला से सियालदह जा रही कंचनजंगा एक्सप्रेस को टक्कर मार दी. हालांकि, लोको पायलट संगठन ने रेलवे के इस बयान पर सवाल उठाया है कि चालक ने रेल सिग्नल का उल्लंघन किया. भारतीय रेलवे लोको रनिंगमैन संगठन (आईआरएलआरओ) के कार्यकारी अध्यक्ष संजय पांधी ने कहा कि रेलवे बोर्ड का यह कहना गलत है कि चालक को लाल सिग्नल पर एक मिनट के लिए ट्रेन रोकनी चाहिए और टीए 912 मिलने के बाद सीमित गति से आगे बढ़ना चाहिए. उन्होंने कहा कि लोको पायलट की मौत हो जाने और सीआरएस जांच लंबित होने के बावजूद लोको पायलट को ही जिम्मेदार घोषित करना अत्यंत आपत्तिजनक है.

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