Emergency Movie: कंगना रनौत की फिल्म इमरजेंसी पर बवाल, SGPC ने भेजा नोटिस, जानें क्या है पूरा मामला?
Emergency Movie: एसजीपीसी का कहना है कि फिल्म में कट्टरपंथी सिख उपदेशक जरनैल सिंह भिंडरावाले और अन्य सिख व्यक्तियों को खालिस्तान की मांग करने वाला दिखाया गया है.
Emergency Movie: शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने मंगलवार 27 अगस्त को अभिनेत्री से नेता बनी हिमाचल प्रदेश की मंडी लोकसभा सीट से बीजेपी सांसद कंगना रनौत की आगामी फिल्म “इमरजेंसी” के निर्माताओं को कानूनी नोटिस भेजा है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि फिल्म में सिखों के चरित्र और इतिहास को गलत तरीके से दिखाया गया है. एसजीपीसी का कहना है कि फिल्म में कट्टरपंथी सिख उपदेशक जरनैल सिंह भिंडरावाले और अन्य सिख व्यक्तियों को खालिस्तान की मांग करने वाला दिखाया गया है, जबकि ऐसा कोई ऐतिहासिक साक्ष्य नहीं है. “इमरजेंसी” फिल्म पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के जीवन पर आधारित है. इन्हीं के शासन काल में साल 1975 में भारत में आपातकाल लगाया गया था. कंगना रनौत इस फिल्म में इंदिरा गांधी की भूमिका निभा रही हैं.
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फिल्म का ट्रेलर 14 अगस्त को रिलीज हुआ था और 6 सितंबर को फिल्म के रिलीज होने की संभावना है. एसजीपीसी के कानूनी सलाहकार एडवोकेट अमनबीर सिंह सियाली ने नोटिस में फिल्म से सिख विरोधी भावनाओं को दर्शाने वाले दृश्यों को हटाने की मांग की है. साथ ही, ट्रेलर को सभी सार्वजनिक और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से हटाने और सिख समुदाय से लिखित माफी मांगने की भी मांग की गई है.
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एसजीपीसी ने आरोप लगाया है कि फिल्म में कुछ दृश्यों में सिख पोशाक पहने किरदारों को असॉल्ट राइफलों से लोगों पर गोली चलाते हुए दिखाया गया है, जबकि भिंडरावाले ने कभी ऐसा कुछ नहीं किया. नोटिस में कहा गया है कि यह फिल्म सिख धर्म के बारे में गलत धारणा फैलाने और सिख समाज के भावनाओं को ठेस पहुंचाने का एक जरिया बनेगी.
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इसके अलावा, कंगना रनौत की हालिया किसान विरोधी टिप्पणी को लेकर भी विवाद जारी है. किसान आंदोलन को लेकर कंगना के बयान पर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने विरोध जताया है, जबकि हिमाचल प्रदेश के पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने इसे कंगना का बौद्धिक दिवालियापन बताया. किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कंगना से माफी की मांग की है और 31 अगस्त को देशव्यापी प्रदर्शन की चेतावनी दी है.
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कंगना ने अपने बयान में कहा था कि किसान आंदोलन के नाम पर हिंसा फैलाई जा रही थी, और सरकार ने किसान विधेयक वापस लेकर सही कदम उठाया. हालांकि, भाजपा ने कंगना के बयान से असहमति जताई और उन्हें किसान आंदोलन पर बयान देने से मना किया.
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