नयी दिल्ली : पाकिस्तान के कराची शहर के स्टॉक एक्सचेंज पर आज आतंकी हमला हुआ, जिसमें 11 लोगों की मौत हुई. ऐसी आशंका जतायी जा रही है कि यह हमला बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने किया है, हालांकि हमले की जिम्मेदारी अभी तक संगठन ने नहीं ली है. लेकिन इस आतंकी संगठन ने पाकिस्तान को पहले भी बहुत परेशान किया है. पाकिस्तान में जब जुल्फिकार अली भुट्टो की सरकार थी, उस वक्त इस संगठन का आकार छोटा था, लेकिन इसने पाकिस्तानी सरकार को बहुत परेशान किया.
स्वतंत्र बलूचिस्तान की मांग करते हुए इस संगठन की स्थापना हुई थी और 1973 से 1977 तक इस संगठन ने पाकिस्तानी सरकार के खिलाफ एक तरह से युद्ध जारी रखा. पाकिस्तान में जब सेना के जनरल जियाउल हक सत्ता में आये तो उन्होंने बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी के नेताओं से बातचीत कर इस संगठन के साथ समझौता कर लिया. लेकिन स्वतंत्र बलूचिस्तान की मांग रूकी नहीं और वर्ष 2000 में इस संगठन का गठन अधिकारिक रूप से किया गया.
पाकिस्तान में परवेज मुशर्रफ के शासनकाल में साल 2000 में बलूचिस्तान हाईकोर्ट के जस्टिस नवाब मिरी की हत्या हुई थी, जिसके बाद इस केस में दो बलूच नेताओं की गिरफ्तारी हुई थी, जिसके बाद बलूच नेताओं का गुस्सा फूटा और इस संगठन ने पाकिस्तान में कई आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया. 2006 में पाकिस्तान ने और बाद में इंग्लैंड और अमेरिका ने इसे आतंकी संगठन घोषित कर दिया.
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वर्ष 2000 से 2007 तक नवाबजादा बालाच मिरी ने संगठन का नेतृत्व किया था, उसकी मौत के बाद उसके भाई हीरबयार मिरी को संगठन का नेता चुना गया, लेकिन उसने कभी भी यह स्वीकार नहीं किया कि वह इस संगठन का मुखिया है. बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने चीन- पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर का विरोध किया. इस संगठन पर यह आरोप भी है कि इसने 2018 में कराची में चीन के वाणिज्यिक दूतावास पर हमला किया था.
Posted By : Rajneesh Anand