20.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

kargil vijay diwas 2020: कारगिल के वीरों के शौर्य की कहानी, उन्हीं की जुबानी, मौत को मात देने की गाथा आप में भर देगा जोश

kargil vijay diwas 2020: 26 जुलाई 1999. भारतीय सेना के शौर्यवीरों के अदम्य पराक्रम की गाथा की गवाही देती इतिहास की महत्वपूर्ण तारीख. इस दिन 'ऑपरेशन विजय' को सफलता मिली थी़ वीरों ने भारत भूमि को घुसपैठियों के चंगुल से मुक्त कराया था. इसी की याद में '26 जुलाई' कारगिल दिवस के रूप में मनाया जाता है.

kargil vijay diwas 2020: 26 जुलाई 1999. भारतीय सेना के शौर्यवीरों के अदम्य पराक्रम की गाथा की गवाही देती इतिहास की महत्वपूर्ण तारीख. इस दिन ‘ऑपरेशन विजय’ को सफलता मिली थी़ वीरों ने भारत भूमि को घुसपैठियों के चंगुल से मुक्त कराया था. इसी की याद में ’26 जुलाई’ कारगिल दिवस के रूप में मनाया जाता है. खास बात यह है कि आज पैरेंट्स डे भी है़. इस दिन पर कारगिल युद्ध की यादों के साथ सीमा पर तैनात उन शौर्यवीरों की पैरेंटिंग की भावनाओं को भी शेयर कर रहे हैं, जो भारत भूमि के साथ खुद से दूर बच्चों का भी ख्याल रखते हैं.

जिस हेलीकॉप्टर को उड़ा रहा था उसे टारगेट कर गोला फेंका गया

आर्मी एविएशन के लेफ्टिनेंट कर्नल प्रदीप झा ने बताया : कारगिल युद्ध के दौरान द्रास सेक्टर के एक बंकर के पास मैंने हेलीकॉप्टर लैंड किया था. उस हेलीकॉप्टर को टारगेट कर गोला फेंका गया. यह घटना 13 मई 1999 की है. गोला कुछ दूर पहले ही गिर गया था. हालांकि उसका एक टुकड़ा (सेल) हेलीकॉप्टर के पास आकर गिरा था.

Also Read: Kargil vijay diwas 2020 : कारगिल युद्ध के समय क्या थी अखबारों की सुर्खियां, जानें क्या था बार्डर का हाल, देखें वीडियो

उस समय फ्लाइट कमांडर एसके रतन और ब्रिगेडियर, लापता अधिकारी अमुल कालिया को तलाश करने की रणनीति के संबंध में जवानों को ब्रीफ कर रहे थे. तभी मैं उस सेल को रूमाल से उठा कर दौड़ते हुए उनलोगों के पास पहुंचा. फिर तीनों ने किसी तरह हेलीकॉप्टर को जोजिला दर्रा से उड़ाते हुए बचा लिया. युद्ध के दौरान एक घायल सैनिक को बचाते हुए खलासी नामक जगह पर उतारा़ उस जगह को प्रदीप हेलीपैड नाम दिया गया है.

मैंने कारगिल युद्ध के दौरान मौत को काफी नजदीक से देखा है

आर्मी एविएशन के जवान उमेश सिंह ने बताया : मैंने कारगिल युद्ध के दौरान मौत को काफी नजदीक से देखा. कारगिल विजय के लिए हमने बिहार, 18 गैनिडियर व जाट रेजीमेंट के काफी जवानों को खोया है. तीन मई 1999 से ही पाकिस्तानी सेना कारगिल युद्ध की तैयारी में लग गयी थी. हमें इसकी सूचना चरवाहा ने दी थी़ पांच मई 1999 से हमलोगों ने रेकी शुरू कर दी.

उसके बाद श्रीनगर से छह फ्लाइट और लेह से दूसरी टीम की छह फ्लाइट द्रास सेक्टर पहुंची. सात मई को पाकिस्तानियों ने हमारे एमिनेशन डैम(गोला-बारूद रखनेवाली जगह) को उड़ा दिया. इसमें हमारे दो एयर क्राफ्ट को नुकसान पहुंचा था. अंतत: हमलोगों ने 26 जुलाई को अमरनाथ यात्रा के पूर्व कारगिल सहित सभी पोस्ट पर कब्जा कर दुश्मनों को खदेड़ दिया.

Also Read: Kargil Vijay Diwas 2020 : कारगिल युद्ध में बिहार रेजिमेंट के मेजर मरियप्पन सर्वानन के सिर बंधा पहले शहीद का सेहरा
शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले

कारगिल की लड़ाई में 29 मई 1999 को सरहद पर बिहार के सपूत नायक गणेश यादव हंसते-हंसते सिने पर दुश्मनों की गोलियां खाकर देश के लिए अपनी शहादत दी थी. परिवार की गृहस्थी की गाड़ी तब से पत्नी पुष्पा बमुश्किल चला रही हैं. कारगिल दिवस जब भी आता है उनकी शहादत की घटना को यादकर पत्नी पुष्पा, पिता रामदेव यादव एवं मां बचिया देवी का कलेजा गर्व से चौड़ा हो जाता है. क्योंकि शहीद नायक गणेश यादव ने जिस बहादुरी से दुश्मनों को मारकर उनके छक्के छुड़ाये थे.उसे सुनकर सभी भारतीय का कलेजा गर्व से चौड़ा हो जायेगा.

पत्नी पुष्पा ने कारगिल युद्ध के अपने संस्मरण को याद करते हुए बताया की शहीद नायक गणेश यादव एक महीने की छुट्टी पर घर आये हुए थे. अचानक उन्हें कंपनी से बुलावा आ गया. छुट्टी में कई दिन शेष बचे थे अचानक लौटने की सूचना पर जब हमलोगों ने पूछा तो गणेश ने सिर्फ इतना बताया की किसी जरूरी काम से बुलाया गया है हमें जाना पड़ेगा.

दोस्त को लगी गोली तो दुश्मनों पर टूट पड़े

परिवार के लोगों को युद्ध की कोई सूचना और जानकारी भी नहीं थी की कोई रोकता. उनके जाने के बाद जानकारी मिली, लेकिन फिर कोई बात नहीं हुई. शव के साथ पहुंचे उनके दोस्त ने बताया की गणेश बहुत बहादुर थे. दुश्मनों द्वारा गोलियां चलाई जा रही थी, तब भी एक गोली गणेश के साथ मौजूद उनके दोस्त को लग गयी. अपने सामने उन्हें छटपटाता देखकर गणेश आग बबूला हो उठे. भीषण गोलीबारी में भी वे निडर होकर दुश्मनों पर टूट पड़े.

घंटो तक गोलियां चलाईं. इसमें एक गोली उन्हें आ लगी,लेकिन हिम्मत के बड़े वीर थे गणेश. उन्होने गोली लगने के बावजूद दुशमनों को मार गिराया. जिन्होंने उनके दोस्त को गोली मारी थी. इस सूचना ने पूरी कंपनी के सीने को गर्व से चौड़ा कर दिया था. फौज में जाने के बाद लोगों को अच्छा लगा था की चलो हमारा बेटा देश की सेवा करने गया है, लेकिन 29 मई को शहादत की इस सूचना ने सबको झकझोर कर रख दिया. अब उन्हें इतिहास के पन्नों में वर्षों तक याद किया जायेगा.

Posted By: Utpal kant

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें